
पंजाब की सियासत में एक नई राजनीतिक पार्टी का उदय हो चुका है. सूबे के खड़ूर साहिब लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह की अगुवाई में पार्टी बनाने का ऐलान मंगलवार को मुक्तसर में हुई रैली में हुआ. निर्दलीय सांसद अमृतपाल के समर्थकों ने मुक्तसर में 'पंथ बचाओ, पंजाब बचाओ' रैली में नई पार्टी के नाम का ऐलान भी कर दिया है. इस पार्टी का नाम 'अकाली दल वारिस पंजाब दे' होगा. अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह इस पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष होंगे.
इस रैली का आयोजन माघी मेला के मौके पर तरसेम सिंह ने ही किया था. तरसेम सिंह और अमृतपाल के समर्थकों के मुताबिक यह दल पंथक होगा. जानकारी के मुताबिक नई पार्टी की रूप-रेखा क्या होगी, यह तय करने की जिम्मेदारी एक कमेटी की होगी जिसमें पांच से सात सदस्य हो सकते हैं. अमस की डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने कहा है कि पंजाब नशे की लत में जकड़ता जा रहा है. धर्म परिवर्तन, किसानों से जुड़े मुद्दे और बंदी सिखों की रिहाई के मुद्दे हमारी प्राथमिकता हैं और इन सबको हम हल कराएंगे.
अमृतपाल की पार्टी का ऐलान उसी दिन हुआ है जब शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष रहे पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल भी मुक्तसर में बड़ी रैली कर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. पंजाब और पंथ से जु़ड़े मुद्दों पर केंद्रित विचारधारा वाली इस पार्टी को मुश्किलों से जूझ रही शिरोमणि अकाली दल के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है. गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल की सियासत भी पंथक राजनीति के इर्द-गिर्द ही घूमती है. बादल परिवार की पार्टी के साथ मॉडरेट सिख वोटर्स का समर्थन रहा है लेकिन पिछले कुछ समय में पंथक वोट पर पार्टी की पकड़ कमजोर हुई है.
यह भी पढ़ें: पंजाब: सुखबीर सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा
शिरोमणि अकाली दल के पंथक वोट बैंक को साल 2015 में श्रीगुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और गुरमीत राम रहीम को माफी देने जैसे मामलों ने भी नुकसान पहुंचाया है. राम रहीम को माफी के मामले में सुखबीर सिंह बादल को पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था और अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सेवा करनी पड़ी थी. शिरोमणि अकाली दल के सामने साख का संकट खड़ा हो गया है. वहीं, अब अमृतपाल की पार्टी ने भी बादल परिवार की टेंशन बढ़ा दी है.
यह भी पढ़ें: 'आप चाहते हैं कि अनशन खत्म कर दूं तो PM मोदी से मिलिए...', जगजीत सिंह डल्लेवाल की पंजाब BJP से दो टूक
अमृतपाल की नई-नवेली पार्टी में दो सांसद हैं. एक अमृतपाल खुद और दूसरा फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा. दूसरी तरफ, शिरोमणि अकाली दल से 2024 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ हरसिमरत कौर बादल ही चुनाव जीतकर संसद पहुंच सकी थीं. अमृतपाल और सरबजीत, दोनों की ही छवि खालिस्तान समर्थक नेता की है. इन दोनों की बतौर निर्दलीय जीत के बाद अब समर्थकों को लग रहा है कि वारिस पंजाब दे की विरासत के साथ ही अगर शिरोमणि अकाली दल से नाराज चल रहा पंथक वोटर साथ आ जाए तो सूबे की सियासत में मजबूत पकड़ बनाई जा सकती है. नई पार्टी के नाम में अकाली दल और वारिस पंजाब दे, दोनों का होना भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है.