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पंजाबः 'हमारे फेफड़ों में भी जाता है धुआं, लेकिन मजबूरी है', पराली जला रहे किसान ने बयां किया दर्द

कई राज्यों में इस समय प्रदूषण से हालात खराब हैं. प्रदूषण के पीछे किसानों की ओर से जलाई जा रही पराली को भी वजह बताया जा रहा है. वहीं, किसानों का कहना है कि उन्हें बदनाम किया जा रहा है.

पंजाब में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. (फाइल फोटो-PTI) पंजाब में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. (फाइल फोटो-PTI)
बलवंत सिंह विक्की
  • संगरूर,
  • 09 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST
  • किसान बोले- पराली जलाना हमारी मजबूरी
  • बोले- सरकार पराली का हल नहीं दे रही

राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारतीय राज्यों में प्रदूषण से हालात खराब होते जा रहे हैं. दिल्ली में तो हवा जहरीली होती जा रही है. इसके लिए दिवाली की आतिशबाजी के अलावा किसानों की ओर से जलाई जा रही पराली को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. प्रशासन भी पराली जलाने वाले किसानों पर सख्ती दिखा रहा है. 

पंजाब के संगरूर में तीन दिन पहले तक पराली जलाने के करीब 1700 मामले सामने आ चुके थे और किसानों से 34 हजार रुपये जुर्माना लिया जा चुका है. किसानों का कहना है कि आग लगने के कुछ सेकंड बाद ही धुंआ हमारे फेफड़ों में जाता है, दूसरों के पास तो कई घंटों बाद पहुंचता है. हमें भी चिंता है लेकिन हमारी मजबूरी है. 

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किसान हरदेव सिंह बताते हैं कि पराली जलाना उनकी मजबूरी है. वो कहते हैं, 'इसको न तो हम खेत में इकट्ठा कर सकते हैं और न हमारे पास इतनी जगह है कि हम इसको कहीं रख लें और न ही हमारे पास कोई साधन है या पैसा है कि हम इसको मिट्टी में मिला दें.' 

हरदेव सिंह कहते हैं, 'ठेके पर जमीन लेकर धान की फसल उगाई थी. बारिश के चलते वो भी खराब हो गई. इतना बड़ा खेत आपके सामने हैं इस पराली को कैसे मिट्टी में मिलाया जा सकता है. सरकारी कोई सब्सिडी नहीं दे रही और इसका कोई हल नहीं कर रही. हम तो चाहते हैं कि सरकार इसको उठा कर ले जाए. हमारे खेत खाली कर दे. हम क्यों आग लगाएंगे, लेकिन इतने सालों में किया तो कुछ नहीं.' उन्होंने कहा कि वो अभी थोड़ा ही जला रहे हैं और बाकी मिट्टी में मिला देंगे. उनका कहना है कि अगर सबको जला दिया तो और धुंआ हो जाएगा.

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किसान नेता मनजीत सिंह से बात की तो उन्होंने बताया, 'हमारा जीवन तो संघर्ष करने में ही निकल जा रहा है. सरकार हमारी नहीं सुनती. हम बस इतना कह रहे हैं कि धान की फसल पर प्रति क्विंटल 200 रुपये का मुआवजा दे दो, हम इसको कहीं रखें, खेत में नष्ट करें, वो हमारी जिम्मेदारी, लेकिन सरकार कुछ नहीं दे रही.'

उन्होंने दावा करते हुए कहा, 'केंद्र सरकार की ओर से इस बार थोड़ी बहुत सब्सिडी मशीनरी पर आई थी वो किसानों के पास नहीं पहुंची. ये सभी नेता लोग खा रहे हैं. हम उनके घरों के बाहर धरने दे रहे हैं. हमारी फसल बर्बाद हो रही है. उसका मुआवजा नहीं मिलता, ये हमें कह रहे हैं कि पराली को आग न लगाएं, लेकिन उसका हल भी तो बताएं. न तो इन्होंने इतने सालों में कोई फैक्ट्री लगाई जहां पर इस पराली को रखा जा सके और न ही इतनी मशीनरी दी जिससे इसे खेत में नष्ट किया जा सके.'

मनजीत सिंह ने आगे कहा कि जब प्राइवेट लोग किसानों की खेती पर कब्जा कर लेंगे तो यहां फैक्ट्री भी लग जाएगी और पराली का हल भी हो जाएगा. उन्होंने कहा कि किसानों को जानबूझकर बदनाम किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि जो प्रदूषण हो रहा है, वो किसानों के कारण हो रहा है.

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