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Ground Report: दिल्ली फिर होगी 'धुआं-धुआं'? पराली जलाने को क्यों मजबूर हैं पंजाब का किसान

खेती के साथ पराली जलाने में अव्वल पंजाब से राजधानी की आबोहवा का गैस चैबर में तब्दील होना और दिल्लीवालों की सासों का घुटना सालों से बदस्तूर जारी है. दिल्ली की आबोहवा तो दूर की बात है, पराली जलाने से सबसे पहले किसान का परिवार ही प्रभावित होता है.

पराली जलाने के मामले कम होते नहीं दिख रहे पराली जलाने के मामले कम होते नहीं दिख रहे
राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 6:01 AM IST

दिल्ली में नीला आसमान सपना हो गया है और हवा की गुणवत्ता पिछले तीन दिनों से खराब श्रेणी में बनी हुई है. पिछले साल के मुकाबले पराली जलने के मामले अभी तक कम इसलिए हैं क्योंकि बीते दिनों बारिश हुई थी और अधिकांश पराली पानी में भीगी हुई है. ऐसे में आशंका है कि दिवाली के बाद पराली जलाने की घटनाओं में इजाफा होगा. खेती के साथ पराली जलाने में अव्वल पंजाब से राजधानी की आबोहवा का गैस चैबर में तब्दील होना और दिल्लीवालों की सासों का घुटना सालों से बदस्तूर जारी है. दिल्ली की आबोहवा तो दूर की बात है, पराली जलाने से सबसे पहले किसान का परिवार ही प्रभावित होता है. पंजाब के किसानों की समस्या बहुत जटिल है. संसाधनों की कमी, बारिश का बदलता पैटर्न और सरकारी महकमें में घटते विश्वास ने पराली जलाने को ज्यादा विवश किया. चावल पैदा करने में अव्वल पंजाब के किसानों के सामने एक बड़ी मजबूरी रिसोर्स की कमी है, जो हर साल उन्हें खेतों में पराली जलाने को मजबूर करती है.  
 
महंगी पड़ती हैं मशीने  

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हैपी सीडर या सुपर सीडर मशीन की कीमत 2 लाख रुपए ये ज्यादा है. लेकिन कुछ ही गावों में ऐसी मशीने हैं. बेलर्स, हैपी सीडर्स, सुपर सीडर्स मशीनें किसानों को ग्रामीण सहकारी संस्थाएं किराए पर देती हैं. लेकिन सभी गावों में सहकारी संस्थाएं नहीं हैं. पंजाब के खानवाल गांव के रहने वाले बलदेव सिंह सिरसा ने बताया, “ये मंशीने महंगी पड़ती हैं. पराली प्रबंधन इसलिए मुश्किल है क्योंकि पुआल का गठिया भी बना लें तो रखेंगे कहां और फैकट्री तक ले जाने में लेबर नहीं मिलती है. लोडिंग-अनलोडिंग के लिए किसान के पास ट्रैक्टर है तो किसी के पास सिर्फ ट्राली है."  

पराली जलाना क्यों होता है आसान?

बॉबी नाम के किसान ने बताया कि धान कटने के बाद खेत को घास पात से ढंककर जुताई के बाद कल्टीवेटर मशीने चलाई जाती हैं. इसके लिए मजदूरी का खर्च बहुत ज्यादा आता है. लिहाजा कटाई के बाद सीधे फसल के अवशेष यानि पराली के जलाने पर सारा खर्च बच जाता है.   

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सरकारी तंत्र में घटता विश्वास  

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार को 6 महीने होने को हैं. ऐसे में वहां के किसान ना केवल पंजाब सरकार, बल्कि केंद्र सरकार से सरकारी मदद की गुहार लगा रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार पर किसान भड़के हैं. एक किसान ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सही समय पर मदद नहीं मिल रही है. कोई ऐसा सरकारी समाधान निकले, जिसमें खेतों से पराली ले ली जाए. एक किसान ने कहा ये हमारी मजबूरी है, शौक नहीं. इसे बंद करवाना सरकार के ही हाथ में है. सरकार बढ़िया मशीन मुहैय्या कराए, जिससे पराली को मिट्टी में ही दबाया जा सके. ये मशीन मंहगी है.  

 पंजाब सरकार की तरफ से मामलों को कम करने की कोशिश  

पंजाब पलूशन कंट्रोल बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी क्रुनेश गर्ग ने बताया कि कोशिश है किसान पराली को ना जलाए. सुपर सीडर यूज़ जा रहा है. पिछले साल 90 हज़ार मशीन थी, इस साल 31 हज़ार और शामिल करने के बाद 1 लाख 22 हज़ार मशीन हो जाएगी. मशीनरी को ब्लॉक, विलेज वेल पर मैप किया गय़ा है. एसएमएस के जरिए ये बताया जा रहा है कि मशीनरी किससे मिल सकती है. एक अनुमान लगाया है कि धान से जो पराली निकलती है वो 20 मिलियन टन है. 50 फीसदी को खेत में ही गलाने की तैयारी है. बायोमानइनिंग प्लांट में साढ़े 8 लाख मीट्रिक टन पराली यूज़ कर रहे हैं. इंडस्ट्री से सपर्क करके ब्वॉयलर को पराली पर शिफ्ट किए जाने की तरफ कहा है. पहले 7 इंडस्ट्री थी, जिन्होंने पिछले साल 3 लाख मीट्रिक टन पराली यूज़ की थी. इस साल वो बढ़कर 8 लाख मीट्रिक टन होने वाला है. यानि 25 प्रतिशत इन सीटू में और 33 प्रतिशत एक्सीटू प्लान से पराली निबटा रहे हैं. किसानों का रूझान पराली जलाने की तरफ ना जाए. आशावान है कि बर्न्ट एरिया और पराली जलाने के मामलों में कमी आएगी. 

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पराली जलाने की घटनाओं में बर्नट एरिया 30 प्रतिशत कम

पंजाब पलूशन कंट्रोल बोर्ड का दावा है कि पराली जलाने की घटनाएं काउंट करने से काम नही होता बल्कि हम ये पता करते हैं कि बर्न्ट एरिया कितना रहा. 16 अक्टूबर तक पराली जलाने की घटनाओं में बर्न्ट एरिया 30 प्रतिशत कम है. पिछले साल ढ़ाई लाख हैक्टेयर बर्न एरिया कम हुआ था जो साढ़े 14 लाख हैक्येटर तक रह गया था. उम्मीद है इस साल ये कम होकर ये 12 लाख हेक्टेयर तक हो जाए. 

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