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राजस्थान

सरकारी कर्मचारी और बंगलाधारी ले रहे थे फ्री में राशन, मामला खुला तो...

उमेश मिश्रा
  • 28 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST
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राजस्थान के धौलपुर जिले में एक तरफ जहां गरीब तबके के लोग खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़वाने के लिए रसद विभाग और नगर पालिकाओं के चक्कर लगाने के बाद भी नाम नहीं जुड़वा पा रहे हैं, वहीं बंगलाधारी और कई सरकारी कर्मचारी-रिटायर्ड कर्मचारी हर महीने गरीबों को फ्री में मिलने वाले गेहूं व दाल और चना उठा रहे हैं. (धोलपुर से उमेश मिश्रा की रिपोर्ट)

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यहां सबसे बड़ी बात यह है कि खाद्य सुरक्षा सूची में एक हजार 320 सरकारी कर्मचारी अपात्र होने के बाद भी खाद्य सुरक्षा का लाभ ले रहे हैं जिनके पास बंगले जैसे मकान व महंगी कारें भी हैं. इनमें रिटायर्ड कर्मचारी भी शामिल हैं. 

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नगर पालिका क्षेत्र के वार्डों में से शायद ही ऐसा कोई वार्ड हो, जहां पर कोई सरकारी कर्मचारी या फिर बंगलाधारी खाद्य सुरक्षा से न जुड़ा हो अन्यथा सभी वार्डों से अधिकांश लोगों के नाम खाद्य सुरक्षा सूची से जुड़े हुए हैं.

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दिलचस्प बात है कि खाद्य सुरक्षा सूची से जुड़े सरकारी कर्मियों व बंगलाधारियों ने राशन कार्डों में अपना मोबाइल नंबर तक लिखवा रखा है. प्रशासन ने अब खाद्य सूची में जुड़े अपात्र लोगों का सर्वे शुरू करवा दिया है और जल्द ही ऐसे लोगों के नाम सूची से काटे जाएंगे. साथ ही उनसे लिए गए गेहूं और दाल व चने की कीमत की वसूली की जाएगी.

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जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल ने बताया कि सरकारी कर्मचारी जो खाद्य सुरक्षा का गैर कानूनी रूप से लाभ उठा रहे है, उनका सघन अभियान चलाकर रिकवरी किये जाने के निर्देश दिए हैं.

उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा सूची में 1320 ऐसे सरकारी कर्मचारी हैं जिन्होंने गरीबों का निवाला डकारा है. सरकारी नौकरी वाले इन लोगों की वजह से असल में जरूरतमंद गरीबों तक लाभ नहीं पहुंच पाया. ये ऐसे परिवार हैं जिन्हें सरकारी नौकरी के बाद भी गरीबों की सहायता के लिए दिए जानी वाली राहत सामग्री, अनाज का गैरवाजिब लाभ उठाया है. उन्होंने उनसे वसूली जाने वाली राशि के नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं. रसद विभाग ने 100 कर्मचारियों से वसूली कर ली है, शेष कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

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नगर परिषद आयुक्त सौरभ जिंदल ने बताया कि एसडीएम साहब के निर्देशानुसार खाद्य सुरक्षा में जो अपात्र लोग हैं, उनकी जांच का काम किया गया है. जांच में तीन विभागों की टीमें लगी हुई हैं. नगर परिषद, पटवारी और साथ ही राशन डीलर, तीनों की संयुक्त टीम ने जांच की है. इसमें कई ऐसे सरकारी कर्मचारी आये हैं जो खाद्य सुरक्षा का लाभ ले रहे हैं. उन पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश एसडीएम और जिला कलेक्टर द्वारा दिए गए हैं. उनको हमने अलग से चिन्हित करके एसडीएम को लिस्ट दी हैं. साथ ही ऐसे धनाढ्य लोग जिनके पास तीन मंजिला मकान है, कार है, इनकम टैक्सपेयर हैं और एक लाख से अधिक की आय रखते हैं, उन सभी का हम चिन्हीकरण कर रहे हैं.

 

 

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अब सवाल उठता है कि खाद्य सूची में सैकड़ों अपात्र लोगों के नाम आसानी से जुड़े हुए हैं जबकि गरीब तबके के लोगों को नाम जुड़वाने के लिए कई चक्कर लगाने पड़ते हैं और फिर भी वे योजना का लाभ नहीं ले पाते हैं जबकि अपात्र लोग आसानी से नाम जुड़वा लेते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि जिन अधिकारियों ने अपात्र लोगों को खाद्य सूची में जोड़ा है तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है.

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