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राजस्थान: अस्पताल के बाहर बहन ने तोड़ा दम, भाई भर्ती कराने के लिए गिड़गिड़ाता रहा

बहन की सांसें फूल रही थीं, वो तड़प रही थी ऑक्सीजन सपोर्ट के लिए, जो इसके लिए संजीवनी बन सकती थी. जैसे-तैसे ये भाई अपनी बहन को लेकर शहर के सवाई मानसिंह अस्पताल तक पहुंच गया. लेकिन इसे वहां मौजूद पुलिस वालों ने अंदर नहीं जाने दिया.

अस्पताल के बाहर तोड़ा दम (फोटो- आजतक) अस्पताल के बाहर तोड़ा दम (फोटो- आजतक)
शरत कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2021,
  • अपडेटेड 8:12 PM IST
  • ऑक्सीजन की कमी से महिला की गई जान
  • भाई बहन के लिए गिड़गिड़ाता रहा
  • फिर भी अस्पताल में नहीं मिला इलाज

एक भाई के सामने बहन ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया और वो चाहकर भी कुछ ना कर सका. इस भाई ने पूरी कोशिश की थी कि अपनी बहन की जान किसी भी तरह से बचा ले. वह भाई, बीमार बहन को ऑटो में बिठाकर जयपुर के कई अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा. लेकिन हर जगह से बस यही जवाब मिला कि बेड खाली नहीं है. ऑक्सीजन भी खत्म हो गई है, लेकिन एक भाई अपनी बहन को यूं मरता कैसे छोड़ देता.

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बहन की सांसें फूल रही थीं, वो तड़प रही थी, ऑक्सीजन सपोर्ट के लिए, जो इसके लिए संजीवनी बन सकती थी. जैसे-तैसे ये भाई अपनी बहन को लेकर शहर के सवाई मानसिंह अस्पताल तक पहुंच गया. लेकिन इसे वहां मौजूद पुलिस वालों ने अंदर नहीं जाने दिया. अधमरी हालत में महिला हाथ जोड़कर सबसे विनती करती रही कि उसे कोई तो ऑक्सीजन दे दे. हालांकि व्हील चेयर पर आ चुका सरकारी सिस्टम, बहरा होने के साथ ही अंधा भी हो चुका था. ये महिला अस्पताल के बाहर ही तड़प-तड़पकर मर गई, लेकिन इसे ऑक्सीन नहीं दी गई.

इस भाई की कलाई पर जब बहन ने राखी बांधी होगी, तो इसने भी इसकी रक्षा करने का वचन जरूर दिया होगा. लेकिन वह विवश होकर अपनी बहन को मरता देखता रहा. अगर अस्पताल के लोग उसकी बहन को भर्ती कर लेते और इलाज के दौरान मौत होती तो भाई को ये मलाल नहीं रहता कि उसने अपनी बहन की जान बचाने के लिए कोशिश नहीं की. अस्पताल के बाहर पहुंचकर भी उसकी बहन को इलाज नहीं मिला, ऑक्सीजन नहीं दी गई. भाई के सामने बहन तड़पती रही और वो बेबस होकर सब कुछ यूं ही देखता रहा.

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भाई ने व्यथित होकर कहा कि कहां हो सीएम साहब? कहां चले गए हेल्थ मिनिस्टर और क्यों खत्म हो गईं प्रदेश के डॉक्टरों की संवेदनाएं. जो इस महिला को यूं ही तड़पता छोड़ दिया. इसके भी दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, अब उनका क्या होगा? वो किसके सहारे अपनी जिंदगी काटेंगे. इस बात का जवाब अब किसी के पास नहीं है. 

इस महिला की मौत की वजह शायद इसकी गरीबी ही रही होगी, अगर इसके पास भी पैसा होता, रसूख होता, तो इसका भी इलाज किसी बड़े अस्पताल में हो पाता, लेकिन गरीब की मौत से ना तो सरकार को फर्क पड़ता है और ना ही सिस्टम को. किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, बस मरने वालों के आंकड़ों में एक और नाम जुड़ गया है. 

अस्पताल के बाहर महिला की मौत का ये वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. सरकार की काफी थू-थू हो रही है, लेकिन शायद सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि इस तरह तो ना जाने कितने लोग रोज मर जाते हैं. सरकार को मीटिंग करने और योजनाएं बनाने से फुर्सत कहां कि वे ऐसे ऐरों गैरों की सुध लेती रहे. 

 

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