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अजमेर ब्लास्ट केस में 3 दोषी करार, स्वामी असीमानंद और RSS नेता इंद्रेश कुमार बरी

जयपुर की नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की स्पेशल कोर्ट ने अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस केस में 3 को दोषी ठहराया है, जबकि 5 को बरी कर दिया है. कोर्ट से RSS नेता इंद्रेश कुमार को क्लीन चिट मिल गई है. स्वामी असीमानंद को भी बरी कर दिया है.

अजमेर ब्लास्ट केस अजमेर ब्लास्ट केस
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 08 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 6:20 PM IST

जयपुर की नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की स्पेशल कोर्ट ने अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस केस में 3 को दोषी ठहराया है, जबकि 5 को बरी कर दिया है. कोर्ट से RSS नेता इंद्रेश कुमार को क्लीन चिट मिल गई है. स्वामी असीमानंद को भी बरी कर दिया है. भावेश और देवेंद्र गुप्ता को दोषी ठहराया गया है. मृतक सुनील जोशी को भी दोषी ठहराया गया है.

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स्वामी असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर लेवे, मुकेश वासनानी, लोकेश शर्मा, हर्षद भारत, मोहन रातिश्वर, संदीप डांगे, रामचंद कलसारा, भवेश पटेल, सुरेश नायर और मेहुल इस ब्लास्ट केस में आरोपी थे. एक आरोपी सुनील जोशी की हत्या हो चुकी है. वहीं आरोपियों में से संदीप डांगे और रामचंद कलसारा अभी तक गायब हैं.

बदला लेने के लिए रची थी ब्लास्ट की साजिश
चार्जशीट के अनुसार, आरोपियों ने 2002 में अमरनाथ यात्रा और रघुनाथ मंदिर पर हुए हमले का बदला लेने के लिए अजमेर शरीफ दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद में बम ब्लास्ट की साजिश रची थी. पुलिस ने ब्लास्ट की जगह से दो सिम कार्ड और एक मोबाइल बरामद किया था. सिम कार्ड झारखंड और पश्चिम बंगाल से खरीदे गए थे. घटनास्थल से एक बैग में रखा जिंदा बम बरामद किया गया था.

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11 अक्टूबर, 2007 को हुआ था दरगाह में ब्लास्ट
गौरतलब है कि 11 अक्टूबर, 2007 की शाम करीब सवा छह बजे अजमेर दरगाह में ब्लास्ट हुआ था. इस ब्लास्ट में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 15 लोग घायल हुए थे. इस मामले में कुल 184 लोगों के बयान दर्ज किए गए, जिसमें 26 महत्वपूर्ण गवाह अपने बयानों से मुकर गए थे.

CBI और NIA पर लगा आरोप
मुकरने वाले गवाहों में झारखंड के मंत्री रणधीर सिंह भी शामिल थे. मामले की जांच के बाद कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें कुछ आरोपियों ने मजिस्ट्रेट के सामने बम ब्लास्ट के आरोप कबूल भी किए थे. बाद में सभी आरोपियों और गवाहों ने सीबीआई और एनआईए पर डरा-धमकाकर बयान दर्ज करवाने का आरोप लगाया.

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