
राजस्थान में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और इन चुनावों में जीत के हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी ओर से पूरी ताकत लगा रखी है तो राज्य में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के पास इन सीटों पर जीत हासिल करना प्रतिष्ठा और सरकार दोनों बचाने की बड़ी चुनौती है.
राज्य में पिछले छह महीने में चार विधायकों की मृत्यु हो गई, जिनमें से तीन सीटें कांग्रेस के पास थी और एक बीजेपी के पास थी. सहाड़ा के कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी, वल्लभनगर के विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत, चुरू के विधायक मास्टर भंवरलाल मेघवाल और राजसमंद से BJP विधायक किरण महेश्वरी की असामयिक मौत से ये सीटें खाली हुई हैं तथा इनकी मौत के बाद ये उपचुनाव हो रहे हैं.
मिशन में जुटे मंत्री
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रियों की फौज इन चारों सीटों पर उतार रखी है. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से लेकर परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और मंत्री उदयलाल आंजना लगातार इन इलाकों में घूम रहे हैं और लोगों की समस्याओं को हाथ के हाथ निपटा भी रहे हैं. मंत्रियों और विधायकों के पास उस इलाके से जो भी समस्याएं आ रही हैं तुरंत बजट का प्रावधान कर उसे पूरा किया जा रहा है.
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों और नेताओं को कह रखा है कि चारों विधानसभा क्षेत्र में जो भी ट्रांसफर या पोस्टिंग के काम कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बताए उसे प्राथमिकता के स्तर पर पूरा किया जाए. राजसमंद में विकास सम्मेलन कराने के बाद अब चित्तौड़गढ़ और डूंगरगढ़ में किसान सम्मेलन कराया जा रहा है.
जहां उपचुनाव होने जा रहे हैं वहां कांग्रेस कोशिश कर रही है कि कृषि कानूनों के बहाने माहौल बनाया जाए. कहा जा रहा है कि कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन और सचिन पायलट की लोकप्रियता को देखते हुए किसान रैली में अशोक गहलोत अपने साथ सचिन पायलट को भी ले जाना चाह रहे हैं.
क्या पायलट के करीबी को मिलेगा टिकट
दरअसल, सियासी संकट के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास कांग्रेस के सौ विधायक बचे थे जिसमें से उनके पास होटल में मौजूद एक विधायक कैलाश त्रिवेदी की मौत हो चुकी है जबकि दूसरे विधायक मास्टर भंवरलाल मेघवाल उस वक्त कोमा में थे और तीसरे विधायक गजेंद्र सिंह सचिन पायलट के पास थे. गहलोत गुट के कुछ विधायक इन दिनों सचिन पायलट के साथ दिख रहे हैं ऐसे में अशोक गहलोत चाह रहे हैं कि इन तीनों सीट पर अपनी पसंद का उम्मीदवार उतारकर जिताकर लाएं और चौथी सीट जो बीजेपी के पास थी वहां से भी कांग्रेस का उम्मीदवार जीत जाए तो सरकार चलाने में आसानी हो.
जबकि वल्लभनगर सीट पर सचिन पायलट चाह रहे हैं कि अपने खास विधायक रहे गजेंद्र सिंह की पत्नी को टिकट दिया जाए इसे लेकर अभी पार्टी में मंथन चल रही है. इस तरह की बातें चल रही है कि क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सियासी संकट के बाद सचिन पायलट के किसी भी पसंदीदा व्यक्ति को कांग्रेस का टिकट देने देंगे.
हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन चारों विधानसभा क्षेत्रों के लिए 178 योजनाओं की घोषणा भी की है. माना जा रहा है कि बजट में भी लोकलुभावन घोषणाएं विधानसभा उपचुनाव को ध्यान में रखकर की गई है.
पुडुचेरी में सरकार गिरने के बाद कांग्रेस का पूरा फोकस राजस्थान में सरकार बचाने को लेकर है. इसी वजह से कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव जीवन मरण का सवाल बना हुआ है.
दूसरी ओर, बीजेपी भी इस विधानसभा चुनाव में जोर लगाए हुए हैं लेकिन उसके यहां अंदरुनी झगड़े की वजह से कांग्रेस को लगता है कि यह चुनाव आसान होगा. बीजेपी ने भी उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और संगठन के पदाधिकारियों को पर्यवेक्षक के रूप में लगा दिया है.