
एक तरफ कहीं फ्री काल की सर्विस दी जा रही है तो कहीं 30-40 पैसे प्रति मिनट बात करने की सर्विस दी जा रही है. मगर अपने परिवार और रिश्तेदारों से दूर सीमा पर देश की रक्षा में लगे जवानों के लिए भारत सरकार मुनाफाखोरी में लग गई है. सरहद पर तैनात सैनिक को अपनों से जुड़ने की एक ही जरिया होता है बीएसएनएल का सैटेलाईट फोन. पांच साल पहले जब जवानों के लिए यह सुविधा शुरू हुई थी, तब एक कॉल एक रुपये प्रति मिनट के हिसाब से रखी गई थी, मगर इस साल से बीएसएनएल ने इसकी दर बढ़ाकर 5 रुपये 75 पैसे प्रति मिनट कर दी. दुखी सैनिकों ने सरहद पर पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी इसका दुखड़ा रोया मगर अब तक कुछ नही हुआ.
केंद्र सरकार के नए फरमान के अनुसार सीमा पर लगे फोनों पर जवान अपने घर पर बात करेगा तो अब एक रुपये प्रति मिनट के बजाए पांच गुना ज्यादा यानी पांच रुपये 75 पैसे प्रति मिनट के हिसाब से अपनी जेब से पैसा देना पड़ेगा. दूर-दूर तक रेगिस्तान, कहीं पर्वत-पहाड़ तो कहीं मीलों फैला जंगल. इसी तरह के हालात में दुश्मनों पर नजर रखने के लिए हमारे जवान सीमा पर खून-पसीना बहाते हैं. इन जगहों पर न तो किसी तरह की मोबाइल सिग्नल मिलते हैं और न हीं कोई फोन सेवा है. देश की सुरक्षा के नाम पर यहां निजी कंपनियों को इजाजत भी नहीं दी जाती है.
पुराने रेट लगाने की रिक्वेस्ट
ऐसे में चिट्ठी-पत्री के दिन लदने के बाद भारत सरकार ने सब्सिडी देकर बीएसएनएल की डीएसपीटी यानी डिजीटल सैटेलाईट फोन टर्मिनल की शुरुआत की थी. मगर अप्रैल 2016 में बीएसएनएल ने कहा कि सब्सिडी की मियाद खत्म हो गई है. बीएसएनएल को ज्यादा घाटा हो रहा है, इसलिए कॉल चार्ज बढ़ाए गए हैं. बीएसएफ का कहना है इससे जवान काफी दुखी हैं. बीएसएफ के डीआईजी अमीत लोढ़ा का कहना है कि ये बढ़ी हुई रेट देनी पड़ रही हैं. हमने ये रिक्वेस्ट की है कि किसी तरह से इसे पुराने रेट पर लाया जाए, ताकि सीमा पर तैनात जवानों को बातचीत करना मंहगा न पड़े.
जवानो में निराशा और मायूसी का माहौल
केंद्र संचार मंत्रालय के उपक्रम यूनिवर्सल सर्विस आब्लीगेशन फंड यूएसओएफ ने अर्द्धसैनिक बलों के जवानों ने घर परिवारों के सदस्य से बात करने के लिए बीएसएनएल के जरिए भारत-पाक सीमा चैकियों पर लगाये हुए हैं. डी.एस.पी.टी डिजिटल सेटेलाईट फोन टर्मिनल की दरों में सब्सिडी देने से इंकार कर दिया हैं, जिससे वर्तमान काल रेल 1 रुपये से बढ़कर 5 रुपये हो गई हैं. सर्विस चार्ज लगने के बाद यह दर 5.75 हो गई हैं. इस निर्णय से बीएसएफ के जवानो में निराशा और मायूसी का माहौल हैं.
वर्तमान पूरे देश में अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र के साथ ऐसे स्थान जहां पर कोई मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नही हैं, ऐसे स्थानों में 400 डीएसपीटी सेट लगे हैं, जिसमें अकेले जैसलमेर सीमा पर 100 से ज्यादा डीएसपीटी सेट लगे हुए हैं.