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राजस्थान: गहलोत सरकार ने दी वन टाइम रिलोकेशन के प्रस्ताव को मंजूरी, संविदा कर्मियों को मिलेगी राहत

कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम करने वालों में डाटा एंट्री ऑपरेटर, जूनियर टेक्निकल एसिस्टेंट और कॉर्डिनेटर्स जैसे कर्मचारी शामिल थे. इन लोगों का काम सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन करना होता है. ये कर्मचारी लंबे समय से अपने गृह जनपदों में तबादले की मांग कर रहे थे.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. (फाइल फोटो) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • जयपुर,
  • 31 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST
  • वन टाइम रिलोकेशन के प्रस्ताव को मंजूरी
  • लंबे समय से अपने गृह जनपदों में तबादले की मांग
  • मनरेगा कर्मियों के लिए होगी राहत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महात्मा गांधी नरेगा स्कीम में कार्यरत 237 संविदा कर्मियों के वन टाइम रिलोकेशन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सरकार के इस फैसले से कॉन्ट्रैक्ट पर दूर-दराज के इलाकों में काम कर रहे इन मजदूरों को पारिवारिक समस्या, स्वास्थ्य व अन्य परेशानियों के मद्देनजर अपने घर के पास या फिर वांछित जिलों में काम करने का अवसर मिल सकेगा. एजेंसी के मुताबिक ये बातें एक आधिकारिक प्रेस रिलीज में बताई गईं.

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कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम करने वालों में डाटा एंट्री ऑपरेटर, जूनियर टेक्निकल असिस्टेंट और कॉर्डिनेटर्स जैसे कर्मचारी शामिल थे. इन लोगों का काम सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन करना होता है. ये कर्मचारी लंबे समय से अपने गृह जनपदों में तबादले की मांग कर रहे थे.

सीएम ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत काम करने वाले अकुशल श्रमिकों के लिए कार्यों में छूट के संबंध में भी एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है. राज्य सरकार द्वारा मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा किए गए एक अध्ययन के आधार पर यह प्रस्ताव तैयार किया गया था.

इससे पहले राजस्थान दिवस के अवसर पर सूबे में 1200 कैदियों को जेल से रिहा कर दिया गया. अपराध में दण्डित वृद्ध पुरुष, जिनकी आयु 70 वर्ष तथा महिलाएं, जिनकी आयु 65 वर्ष या इससे अधिक है और सजा का एक तिहाई भाग भुगत चुके हैं, उन्हें भी समय पूर्व रिहाई दी गई.

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कैदियों की रिहाई को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने निवास पर जेल अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें निर्णय लिया गया था कि बलात्कार, ऑनर किलिंग, मॉब लिंचिंग, पॉक्सो एक्ट, तेजाब हमले से संबंधित अपराध, आर्म्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, सहित 28 विभिन्न श्रेणियों के जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों को कोई राहत नहीं देने का फैसला लिया था.

 

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