
जिला पंचायत समिति चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों के नतीजे हमारी आशा के अनुकूल नहीं रहे हैं. पिछले नौ महीने में हमारी सरकार कोविड-19 की रोकथाम के लिये मेहनत कर रही है. हमारी प्राथमिकता लोगों का जीवन और आजीविका बचाना रहा है. हमने राज्य के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया.
लॉकडाउन के समय मजदूरों और प्रवासियों को सुविधापूर्वक उनके घर पहुंचाया. लोगों को आर्थिक मदद दी और राशन उपलब्ध कराया. मनरेगा के जरिए गांवों में रोजगार के मौके बढ़ाए. प्रदेश में किसी को भूखा नहीं सोने दिया गया और इलाज के अभाव में किसी की मौत नहीं होने दी. हमारा पूरा ध्यान कोरोना महामारी पर रहा जिसके चलते हम अपनी योजनाओं और सरकार के कार्यों का अच्छे से प्रचार नहीं कर सके.
वहीं, विपक्ष के नेताओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में दौरे कर भ्रामक प्रचार कर मतदाताओं को भ्रमित किया. आने वाले समय में हम नये सिरे से फीडबैक लेकर जनता तक अपने सुशासन को पहुंचाएंगे और विपक्ष के दुष्प्रचार का करारा जवाब देंगे. मैं सभी मतदाताओं एवं कांग्रेस कार्यकर्ताओं का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने इस चुनाव में भाग लेकर लोकतंत्र को मजबूत किया. मैं सभी विजयी उम्मीदवारों को बधाई देता हूं. मुझे पूरा विश्वास है कि सभी जनप्रतिनिधि जनसेवा में सफल होंगे.
वहीं, किसान अंदोलन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि 10 केंद्रीय मंत्रियों एवं बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को किसान आंदोलन के खिलाफ उतरना पड़ा? क्योंकि मोदी सरकार ने किसानों और विपक्ष समेत किसी स्टेकहोल्डर से संवाद ही नहीं किया. अगर संवाद किया होता तो ऐसी जरूरत नहीं पड़ती. पहले भी देश की जनता ने अपने प्रधानमंत्रियों पर यकीन किया है. उनके बनाये हुए कानूनों को स्वागत किया है.
अगर आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की बात सुनकर उनसे संवाद करते तो मामला इतना नहीं बढ़ता. कोरोना काल में लोगों ने उनके कहने पर ताली, थाली, घंटी बजाई एवं मोमबत्ती जलाई. लेकिन किसानों के मुद्दे पर मोदी जी ने चुप्पी साध ली. अगर वो किसानों के हक में सही निर्णय लेते तो किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता. प्रधानमंत्री को अब भी सभी से संवाद स्थापित कर उनकी बात सुननी चाहिए और उनकी समस्याओं का हल निकालना चाहिए. अभी तक वो ऐसा करने में नाकाम रहे हैं.