Advertisement

राजस्थान: रेप की कोशिश के बाद लड़की ने दी जान, बदनामी के डर से मां बना रही थी समझौते का दबाव

राजस्थान के अलवर के बहरोड़ में किराए के मकान में पीड़ित युवती अपनी मां के साथ रहती थी. यहां वह एक कंपनी में काम करती थी. युवती ने कुछ दिन पहले मकान मालिक पर रेप करने की कोशिश का केस दर्ज कराया था. इसके बाद भी वह खुलेआम घूम रहा था.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
शरत कुमार
  • अलवर,
  • 08 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 9:02 AM IST
  • राजस्थान के अलवर का है मामला
  • रायबरेली की रहने वाली थी युवती

अलवर के बहरोड़ में मकान मालिक द्वारा रेप की कोशिश करने के मामले में न्याय न मिलने से परेशान एक दलित युवती ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मामले की जानकारी होते ही पुलिस ने मौके पहुंचकर जांच शुरू कर दी है. पुलिस ने बताया कि पीड़िता की मां समाज में बदनामी के डर से बेटी पर समझौते का दबाव बना रही थी. युवती यूपी के रायबरेली की रहने वाली थी.

Advertisement

पुलिस ने बताया कि युवती बहरोड़ के जेनपुर बास में किराये के मकान में अपनी मां के साथ रहती थी. मकान मलिक जीतू गुर्जर ने दुष्कर्म की कोशिश की थी, जिसकी शिकायत युवती ने संबंधित थाने में की थी. पुलिस पर आरोप है कि केस दर्ज होने चार दिन बाद भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया. वह भी डरा-धमका कर समझौते का दबाव बना रहा था. बहरहाल एसपी ने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं. 

पुलिस अधीक्षक ने दी सफाई

भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक शांतनु कुमार ने बताया कि मृतका ने मामला दर्ज कराया था, लेकिन मृतका की मां जीतू गुर्जर में राजीनामे को लेकर बातचीत चल रही थी. इस बीच पीड़िता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Advertisement

धारा 164 में होने थे बयान

एसपी ने बताया कि युवती ने रेप करने की कोशिश का मामला दर्ज कर वाया था. इस मामले में धारा 164 के तहत बयान भी होने थे लेकिन उससे पहले ही युवती ने जान दे दी. मृतका एक कंपनी में काम करती थी.

गिरफ्तारी न होने की हो रही जांच

भिवाड़ी पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पोस्टमॉर्टम कराकर युवती का शव परिजनों को सौंप दिया गया है. उन्होंने बताया कि केस दर्ज होने के बाद भी बहरोड़ थाना पुलिस ने आरोपी को क्यों गिरफ्तार नहीं किया, इसकी भी जांच की जा रही है.

क्या होती है धारा 164

पुलिस को जांच शुरू करने से पहले आरोपी को न्यायिक मैजिस्ट्रेट या महानगर मैजिस्ट्रेट के समाने बयान या स्वीकृति के लिए पेश करना होता है. अगर आरोपित मैजिस्ट्रेट से बोलता है कि पुलिस को दी गई स्वीकृति सही नहीं है तो ऐसी मैजिस्ट्रेट आरोपित को छोड़ भी सकता है. धारा 164 की उपधाराओं में मैजिस्ट्रेट के समक्ष की गई स्वीकृति या दिया गया बयान एक ठोस साक्ष्य हो सकता है और इसी के बाद ही आरोपी के खिलाफ पुलिस द्वारा की कार्रवाई वैध मानी जाती है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement