
कांग्रेस में बढ़ती गुटबाजी को थामने के लिए पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने डिनर डिप्लोमेसी का सहारा लेने का फैसला किया है. कांग्रेस में धड़ों में बंटे नेताओं और बजुर्ग, युवाओं में चल रहे नेतृत्व विवाद को थामने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस डिनर टेबल टॉक का सहारा लेगी.
इसकी शुरुआत राजस्थान और गुजरात से की जा रही है. दिल्ली के कांग्रेस हेडक्वार्टर से ये राज्यों को आदेश दिए गए हैं कि पार्टी के सभी प्रभावी नेताओं को जाजम पर बैठाने के लिए राज्य का वरिष्ठ नेताओं को एक साथ खाने पर बैठाया जाए जहां पर ये नेता आपसी मतभेद, गिले-शिकवे भूलकर बातचीत करें और गलतफहमियों को दूर करें. चुनाव से पहले तैयारी मोड में लाने के लिए ये सब किया जा रहा है.
इसमें प्रदेश के वरिष्ठ नेता अपने घर पर दूसरे वरिष्ठ नेताओं को डिनर पर बुलाएंगे जहां आपस में बैठकर राज्य की राजनीति और पार्टी की स्थिति पर चर्चा होगी. डिनर पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री, पार्टी विधायक दल के नेता और उपनेता और पार्टी के प्रभारी सचिव को बुलाया जाएगा.
बताया जाता है कि इस बारे में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट को राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी गुरुदास कामत के जरीए ये सूचना भिजवा दी गई थी. लेकिन जब किसी ने एक दूसरे को रात के खाने पर बुलाने की पहल नही की तो कामत ने खुद फोनकर अशोक गहलोत से पूछा कि कब उनके घर डिनर पर आया जाए. फिर अशोक गहलोत ने समय 3 अक्टूबर को तय कर उनको सूचित किया है.
इसी तरह से सचिन पायलट को भी फोन कर पूछा गया कि उनके घर कब डिनर पर वरिष्ठ नेताओं को भेजा जाए तो पायलट ने समय 15 अक्टूबर का तय किया है. गुरुदास कामत के अनुसार गुजरात के पार्टी नेताओं को भी कहा गया है कि आपस में मनमुटाव खत्म कर एक दूसरे के घर डिनर करना शुरु करें.
गौरतलब है कि गुजरात की तरह राजस्थान कांग्रेस भी गहलोत खेमा, सचिन खेमा और सीपी जोशी खेमे में बंटा हुआ है. पार्टी के ज्यादातर वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत के साथ हैं तो नौजवान सचिन पायलट के साथ हैं जबकि राहुल गांघी की नजदीकियों की वजह से पार्टी महासचिव सीपी जोशी के साथ भी राज्य के नेताओं का एक धड़ा है.
सवाल उठता है कि जब दिल्ली से डिनर के समय तय करने पड़ रहे हैं तो ऐसे डिन डिप्लोमेसी से कांग्रेस को कुछ हासिल हो पाएगा इसमें संदेह हीं है. हालांकि कांग्रेस की कोशिश है कि कम से कम कांग्रेस जनता के बीच बंटे हुए धरों के बजाए एकजुट घर की तरह दिखे.