Advertisement

राजस्थान में फिर किसान आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार, सीकर में मोदी सरकार पर फूटा गुस्सा

सोमवार को राजस्थान के सीकर जिले में किसान नेता और पूर्व विधायक अमराराम की अगुवाई में किसानों ने टोल, नाकों पर धरना प्रदर्शन किया और डेरा डाला.

कृषि कानूनों के खिलाफ जारी है किसानों का प्रदर्शन (सांकेतिक तस्वीर-PTI) कृषि कानूनों के खिलाफ जारी है किसानों का प्रदर्शन (सांकेतिक तस्वीर-PTI)
देव अंकुर
  • सीकर,
  • 28 जून 2021,
  • अपडेटेड 11:54 PM IST
  • कृषि कानूनों की वापसी पर डटे किसान
  • सीकर में भी किसानों ने किया प्रदर्शन
  • फिर रफ्तार पकड़ रहा है आंदोलन

कोरोना काल में धीमी पड़ी किसान आंदोलन की रफ्तार, एक बार फिर तेज हो गई है. राजस्थान में कृषि कानूनों के विरोध में एक बार फिर आंदोलनकारी सड़कों पर उतरे. सोमवार को राजस्थान के सीकर जिले में किसान नेता और पूर्व विधायक अमराराम की अगुवाई में किसानों ने टोल, नाकों पर धरना प्रदर्शन किया और डेरा डाला.

पूर्व विधायक अमराराम ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को शुरू हुए 7 महीने से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है. देश की संवेदनहीन सरकार ने अंतिम बार किसानों से जनवरी माह में बातचीत की थी. उसके बाद कोई भी वार्ता नहीं हुई.

Advertisement

उन्होंने कहा, 'जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वह किसानों से एक फोन कॉल की दूरी पर हैं. देश का किसान आज तक यह नहीं जान पाया है कि उस फोन का नंबर क्या है. संयुक्त मोर्चा द्वारा प्रधानमंत्री एवं कृषि मंत्री को कई बार पत्र भी लिखकर भेजे हैं लेकिन केंद्र सरकार एक ही जिद पर अड़े बैठी है कि तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेगी.'

किसान आंदोलन: पंचकूला में प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स उखाड़े, लखनऊ में पुलिस ने रोका 

किसान नेता ने कहा, 'तीनों कृषि से कानून, देश के 130 करोड़ जनता की रोटी से मुनाफाखोरी के लिए खुली छूट है. किसान अपने घरों को तब ही वापस जाएंगे जब तीनों कृषि कानून वापस केंद्र सरकार लेगी. किसान तब वापस जाएंगे जब बिजली संशोधन कानून हट जाएगा, एमएसपी का नया कानून बनेगा.'

Advertisement

एकजुट हो रहे हैं किसान

किसानों ने सोमवार को सीकर जिले के रसीदपुर, सेवद, दादिया और दुजोद टोल नाकों पर आंदोलन किया. किसानों को आंदोलन के लिए फिर से एकजुट होने के प्रयास तेज हो गए हैं. अमराराम ने कहा कि सरकार ने पिछले 30 साल में सड़क, शिक्षा चिकित्सा बीमा बैंक रेलवे एयरपोर्ट आदि को तो निजी हाथों में सौंपा ही है और अब आम आदमी की रोटी को भी पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है.
 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement