
कोरोना काल में धीमी पड़ी किसान आंदोलन की रफ्तार, एक बार फिर तेज हो गई है. राजस्थान में कृषि कानूनों के विरोध में एक बार फिर आंदोलनकारी सड़कों पर उतरे. सोमवार को राजस्थान के सीकर जिले में किसान नेता और पूर्व विधायक अमराराम की अगुवाई में किसानों ने टोल, नाकों पर धरना प्रदर्शन किया और डेरा डाला.
पूर्व विधायक अमराराम ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को शुरू हुए 7 महीने से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है. देश की संवेदनहीन सरकार ने अंतिम बार किसानों से जनवरी माह में बातचीत की थी. उसके बाद कोई भी वार्ता नहीं हुई.
उन्होंने कहा, 'जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वह किसानों से एक फोन कॉल की दूरी पर हैं. देश का किसान आज तक यह नहीं जान पाया है कि उस फोन का नंबर क्या है. संयुक्त मोर्चा द्वारा प्रधानमंत्री एवं कृषि मंत्री को कई बार पत्र भी लिखकर भेजे हैं लेकिन केंद्र सरकार एक ही जिद पर अड़े बैठी है कि तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेगी.'
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किसान नेता ने कहा, 'तीनों कृषि से कानून, देश के 130 करोड़ जनता की रोटी से मुनाफाखोरी के लिए खुली छूट है. किसान अपने घरों को तब ही वापस जाएंगे जब तीनों कृषि कानून वापस केंद्र सरकार लेगी. किसान तब वापस जाएंगे जब बिजली संशोधन कानून हट जाएगा, एमएसपी का नया कानून बनेगा.'
एकजुट हो रहे हैं किसान
किसानों ने सोमवार को सीकर जिले के रसीदपुर, सेवद, दादिया और दुजोद टोल नाकों पर आंदोलन किया. किसानों को आंदोलन के लिए फिर से एकजुट होने के प्रयास तेज हो गए हैं. अमराराम ने कहा कि सरकार ने पिछले 30 साल में सड़क, शिक्षा चिकित्सा बीमा बैंक रेलवे एयरपोर्ट आदि को तो निजी हाथों में सौंपा ही है और अब आम आदमी की रोटी को भी पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है.