
किसान आंदोलन जारी है. केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन और तेज होता जा रहा है. किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. कांग्रेस नेता भी केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सिलसिलेवार कई ट्वीट करके केंद्र सरकार पर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि किसान बिल को असंवैधानिक तरीके से पास कराया गया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लिखा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों, किसान सगंठनों और कृषि विशेषज्ञों से बिना चर्चा किए तीनों कृषि बिल बनाए. इन तीनों बिलों को संसद में भी आनन-फानन में बिना चर्चा किए बहुमत के दम पर असंवैधानिक तरीके से पास कराया. जबकि विपक्ष इन बिलों को सेलेक्ट कमेटी को भेजकर चर्चा की मांग कर रहा था, केंद्र सरकार ने इन बिलों पर किसी से कोई चर्चा नहीं की जिसके चलते आज पूरे देश के किसान सड़कों पर हैं.
गहलोत ने आगे लिखा कि नए किसान कानूनों पर किसानों की बात रखने के लिए पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने महामहिम राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया. फिर हम सभी चारों कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने महामहिम राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा जिससे किसानों की बातें रख सकें लेकिन राष्ट्रपति महोदय की कोई मजबूरी रही होगी इस कारण हमें समय नहीं मिल सका.
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अशोक गहलोत के मुताबिक किसानों की बात केंद्र सरकार ने नहीं सुनी जिसके कारण आज किसान पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं. लोकतंत्र के अंदर संवाद सरकार के साथ इस प्रकार कायम रहते तो यह चक्का जाम के हालात नहीं बनते एवं आम जन को तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता. केंद्र सरकार को अविलंब तीनों नये कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए. और अन्नदाता के साथ किये दुर्व्यवहार के लिये माफी मांगनी चाहिए.
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