
देश में नासिक के बाद सस्ते अधिक प्याज पैदा करने वाले अलवर जिले में किसानों को नोटबंदी की वजह से प्याज के कोई खरीददार नहीं मिल रहे हैं. इस वजह से प्याज के दाम जमीन पर औंधे मुंह गिर गए है. अलवर मंडी में प्याज दो रुपये से लेकर 7 रूपये किलो बिक रहा है, जिससे किसानों की उत्पादन की लागत भी नहीं निकल पा रही है. किसानों का कहना है उन्हें नोटबंदी की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, किसान कर्ज में दब गया है और मजबूरी में महाराष्ट्र और विदर्भ की तरह सुसाइड करने को मजबूर हो सकते हैं.
राजस्थान का प्याज उत्पादक जिलों में पहले स्थान पर रहने वाला अलवर जिले में इन दिनों प्याज उत्पादक किसान नोट मंदी की मार झेल रहे हैं, हालात यह हैं कि अलवर की कृषि मंडी में प्याज की आवक लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन किसानों को उन का भाव नहीं मिल पा रहा है. किसान और व्यापारी के अलावा मंडी में काम करने वाले मजदूर भी परेशान है.
नोटबंदी के कारण अलवर मंडी में बाहर से आने वाले व्यापारियों ने भी अपना मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है मंडी में प्याज खरीदने के लिए इस बार व्यापारी भी कम संख्या में आए हैं जहां पिछली बार 70 से 80 व्यापारी अलवर मंडी में प्याज खरीदने आते थे इस बार इस से आधे व्यापारी की अलवर मंडी में प्याज खरीदने के लिए आए हैं नोट बंदी के कारण किसान अब 500 और 1000 के नोट नहीं लेता है इसलिए उन्हें खुले पैसे चाहिए लेकिन व्यापारियों के पास खुले पैसे नहीं होने के कारण वह प्याज खरीदने से भी डर रहा है.
किसान चेक से नहीं ले रहे पेमेंट
नोटबंदी के बाद हालत ज्यादा खराब नजर आ रहे हैं क्योंकि किसान चेक से पेमेंट लेने के लिए तैयार नहीं है और व्यापारी के पास नगद देने के लिए नई करेंसी नहीं हैं. इन दोनों परेशानियों के
चलते हुए प्याज के भाव लगातार गिरते जा रहे हैं क्योंकि किसान बाजार में प्याज जल्दी लाने के लिए पूरी कोशिश करता है लेकिन उसे उसका भाव नहीं मिल पा रहा है. इन दिनों अलवर की
मंडी में 60 हजार कट्टे से ज्यादा की आवक हो रही है. अगर यही हालात बनते रहे तो मंडी में लाखों किवंटल प्याज बोरियों में बंद होकर ही खराब हो जाएगी. अलवर जिला राजस्थान में सबसे
बड़ा प्याज उत्पादक जिला है, यहां की लाल प्याज देश विदेशों तक जाती है.
प्याज के रेट में लगातार गिरावट
पिछली साल अलवर जिले में 15000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज बोई गई थी क्योंकि इस बार बरसात अधिक होने के कारण करीब 12.50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज बोई गई. प्याज की रेट में
लगातार आ रही गिरावट से किसान काफी परेशान हैं हालांकि किसान ने प्याज को अच्छे से बोने के लिए पूरी मेहनत की लेकिन उन्हें उनका भाव नहीं मिल पाने के कारण हालात खराब नजर
आ रहे हैं. इन दिनों मंडी में जो प्याज के भाव चल रहे हैं वह बहुत कम चल हैं. किसानों को जो भाव मंडी में मिल रहा है वह 200 रुपये से लेकर 300 रूपये प्रति कट्टा तक मिल रहा है
किसानों का कहना है कि एक बीघा खेत में प्याज बोने का करीब 35 से 40 हजार रुपए खर्च आता है लेकिन उन्हें अब सिर्फ 15 से 20 हजार रूपये मिल रहा है किसानों का कहना है कि उन्हें
मेहनत भी नहीं मिल रही है खर्चे की तो बात ही अलग है. किसानों को पिछली बार एक बीघा में 100 कट्टे पैदावार मिल रही थी इस बार मात्र 30 कट्टे तक की पैदावार हुई है. प्याज की
लगातार भाव गिरने के बाद अब किसान नोट बंदी के कारण परेशान हैं.
बैंकों में नहीं है पैसा
किसानों ने बताया कि अगर हम व्यापारियों से चेक से पेमेंट ले भी लेने तो बैंक में चेक क्लियर होने में कम से कम 3 से 4 दिन लगते हैं और इसके अलावा बैंकों में लगातार लग रही भीड़ के
कारण उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है जब नोट बदलवाने के लिए 5-6 घंटे लाइन में लगते हैं तो उन्हें किस तरीके से भुगतान प्राप्त होगा किसानों के सामने यह भी सबसे बड़ा सवाल
नजर आ रहा है क्योंकि अलवर में बैंक किसानों को अभी भुगतान नहीं कर पा रही हैं ज्यादातर गांव की बैंको में नोटबंदी के बाद पर्याप्त मात्रा में धन नहीं पहुंचा है इसलिए किसानों को वहां से
अपने पैसे निकलवाने में बड़ी दिक्कत आ रही है और प्याज की राशि बेचने के बाद फिर उनके पैसे निकलवाने में कितनी दिक्कत आएगी यह किसान ही जानता है.
किसानों ने बताया कि उसने 4 बीघा प्याज खेतों में लगाया था और करीब एक लाख रूपये का नुकसान हुआ है. मंडी में पैसे नहीं मिल रहे है जिससे कर्ज लिया है वह रोजाना पैसे मांगता
है.मजबूरी सस्ते दामों पर बेचना पड़ रहा है, नोट बंदी की वजह से किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
प्याज के थोक विक्रेता और व्यापारी पप्पू भाई ने बताया कि अलवर के प्याज को नोटबंदी की वजह से खरीददार नहीं मिल रहे और भाव भी कम हो गए है. किसान को प्रति बीघा करीब 20 हजार का नुकसान हो रहा है. किसान चेक लेने से इंकार कर देते है, इससे समस्या बढ़ गई है. व्यापारी के पास खुले पैसे नहीं है इस वजह से किसान कर्ज में दब गया है और किसान आत्महत्या को मजबूर होगा.