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किसान आंदोलन: दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद, गांव की कच्ची सड़कों से गुजर रहे वाहन, लोग परेशान

गांव के निवासी राज कुमार बताते हैं कि पिछले 12 दिसंबर के बाद से इस गांव की कच्ची सड़क हाईवे की गाड़ियों का बोझ उठा रही है. लगातार वाहनों के आने-जाने से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है.

वाहनों के शोर से ग्रामीण परेशान वाहनों के शोर से ग्रामीण परेशान
हिमांशु मिश्रा
  • रेवाड़ी,
  • 03 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:20 AM IST
  • ग्रामीणों ने अपने घर के आगे रखे पत्थर
  • गांव में लगाए हाथ से लिखे साइन बोर्ड

नए कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसानों के आंदोलन के कारण दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद है. राजमार्ग बंद होने के कारण दिल्ली से जयपुर या जयपुर से दिल्ली जाने वाले वाहन राजमार्ग के किनारे स्थित गांवों की कच्ची सड़कों से निकल रहे हैं, जिससे ग्रामीण परेशान हैं. वाहनों के लगातार आवागमन के कारण ग्रामीणों को खासी दिक्कत हो रही है.

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दिल्ली-जयपुर हाईवे के किनारे रेवाड़ी के जैसिंह खेड़ा गांव के लोगों ने अपने घर के सामने बड़े-बड़े पत्थर रख दिए हैं. इस छोटे से गांव का नाम 12 दिसंबर से पहले राजमार्ग से गुजरने वाले वाहनों के चालकों ने भी शायद ही सुना हो. अचानक यह गांव राजमार्ग से गुजरने वालों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है. इसकी वजह है राजमार्ग के बंद हो जाने के कारण इस गांव की कच्ची सड़क से गाड़ियों का निकलना.

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गांव के निवासी राज कुमार बताते हैं कि पिछले 12 दिसंबर के बाद से इस गांव की कच्ची सड़क हाईवे की गाड़ियों का बोझ उठा रही है. लगातार वाहनों के आने-जाने से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है. बताया जाता है कि किसानों को दिल्ली के तीन बॉर्डर पर डेरा डाल कर बैठे दो महीने से अधिक समय हो गया. 25 नवंबर 2020 की देर शाम किसान दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर आने शुरू हुए थे और ये सिलसिला अब भी जारी है.

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ग्रामीणों को सता रही बच्चों की भी चिंता

सिंघु बॉर्डर के बाद अगले दिन टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसान बड़ी संख्या में पहुंच गए और दिल्ली के बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया. 12 दिसंबर को राजस्थान के किसान भी दिल्ली-जयपुर हाईवे पर पहुंचे लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें बैरिकेड लगा कर हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर ही रोक दिया. किसान दिल्ली-जयपुर हाईवे पर ही बैठ गए और जाम कर दिया.

घर के बाहर रखे पत्थर

दिल्ली से जयपुर जाने वाली गाड़ियां तो सर्विस रोड से धीरे-धीरे निकल जा रही हैं लेकिन जयपुर से दिल्ली आने वाली गाडियों का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया. अब इन गाड़ियों को आसपास के गांवों के रास्ते निकाला जा रहा है. उन्हीं में से एक गांव है जैसिंह खेड़ा. इस गांव के लोगों का कहना है कि 12 दिसंबर के बाद से उनके गांव में सब कुछ बदल गया है.

ग्रामीण बताते हैं कि जहां रात में नहीं बल्कि दिन में भी शांति थी, अब वहां रात में भी शांति नहीं है. पूरी रात गाड़ियों का शोर लोगों को सोने नहीं देता. लोग बताते हैं कि अगर बात इतनी ही होती तो भी ठीक थी, लगातार गुजरती गाड़ियों की वजह से उनका नुकसान भी हो रहा है. अब गांव की सड़कें न तो इतनी मजबूत हैं और न चौड़ी, नतीजा ये कि टूटे हुए छज्जे, टूटी हुई नालियां और परेशान लोग.

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ग्रामीणों ने लगाए हाथ से लिखे साइन बोर्ड

लोग इस कदर डरे हुए हैं कि अपने घर के बाहर पत्थर रख दिए हैं कि कहीं कोई गाड़ी उनके घर में न घुस जाए. हालात ये है कि गांव के लोगों ने खुद ही गांव के मोड़ पर साइन बोर्ड हाथ से लिख कर लगा दिए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि दिन में तो वे लोग रास्ता बता देते हैं लेकिन रात में जब लोग भटक जाते हैं तो दरवाजे खट-खटाकर रास्ता पूछते थे. बच्चो के साथ गांव के एक मोड़ पर खड़े शख्स ने कहा कि बच्चे जब बाहर खेलते हैं तो अब उनपर भी नजर रखनी पड़ती है. 

लगातार वाहनों की आवाजाही के कारण लोग अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं. अपने घर के बाहर बच्चे के साथ खड़ी महिला ने कहा कि जब बेटा बाहर निकलता है, उसे डर लगा रहता है. गांव के लोग अब जल्द से जल्द इस मुसीबत से छुटकारा चाहते हैं.

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