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कोरोना काल में ब्रांच मैनेजर की गई 23 साल पुरानी नौकरी, एक भैंस से डेयरी खोल बदली किस्मत

कोरोना महामारी के दौरान यूनिट्स के बंद होने, वेतन में कमी, बड़े पैमाने पर छंटनी के दौर में शेखावत को भी अन्य लोगों की तरह अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा.

नौकरी जाने पर भैंस खरीद डेयरी खोली (फोटो- आजतक) नौकरी जाने पर भैंस खरीद डेयरी खोली (फोटो- आजतक)
देव अंकुर
  • जयपुर ,
  • 30 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST
  • लॉकडाउन के दौरान ब्रांच मैनेजर की गई नौकरी
  • डेयरी खोलकर चलाई गृहस्थी
  • अब व्यवसाय को दे रहे हैं विस्तार

कोरोना वायरस ने शारीरिक तौर पर लाखों लोगों को संक्रमित किया. इस महामारी से बचने के उपाय के तौर पर लगाए गए लॉकडाउन ने बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार पर असर डाला. 

संकट के इस दौर में असंख्य लोगों की नौकरियां गईं, काम-धंधा बंद होने से अनगिनत बेरोजगार हो गए. अपने और परिवार का वजूद बनाए रखने के लिए ऐसे लोग कुछ न कुछ करने की मशक्कत में लगे हैं जिससे घर का चूल्हा जलता रहे. इसी कोशिश में उन्हें दूसरे कामों को अपनाना पड़ा है. 

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हालांकि कोई आधिकारिक क्षेत्रवार डेटा नहीं है, लेकिन उन लोगों की कोई कमी नहीं है जिन्होंने महामारी संकट के दौरान दूसरी नौकरियों को अपनाया या कोई और काम शुरू किया. 

जयपुर के रहने वाले 48 साल के राम सिंह शेखावत एक मीडिया संगठन के शाखा प्रबंधक के रूप में कार्यरत थे. अपने प्रबंधन कौशल के दम पर शेखावत इस प्रोफेशन में 23 वर्ष से भी अधिक तक टिके रहने में कामयाब रहे. उनकी मैनेजर के तौर पर योग्यता और लोगों से समन्वय बनाने की क्षमता को देखते हुए मैनेजमेंट उन्हें राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में शिफ्ट करता रहा. उन्हें ऐसी यूनिट्स में भेजा जाता जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही थीं. 

महामारी के दौरान यूनिट्स के बंद होने, वेतन में कमी, बड़े पैमाने पर छंटनी के दौर में शेखावत को भी अन्य लोगों की तरह अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. 

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शेखावत ने इंडिया टुडे को बताया, "संगठन में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई, वेतन में 40% की कटौती हुई. कई लोगों ने अपनी नौकरी खो दी. वास्तव में, कई इकाइयां बंद हो गईं और जो परिस्थितियां पैदा हुईं, उसमें मैंने पाया कि मैं अब संगठन का हिस्सा नहीं हूं.” 

मां और पत्नी से मिली मदद

हालांकि, शेखावत ने मुश्किल की इस घड़ी में धैर्य से काम लिया. उनकी मां और पत्नी से उन्हें बहुत हौसला मिला और वे डेयरी व्यवसाय में लग गए. शेखावत ने 6 महीने पहले घर के पास स्थित अपनी जमीन के छोटे से टुकड़े से यह व्यवसाय शुरू किया. जल्द ही दूध की अच्छी क्वालिटी की वजह से आस-पास के क्षेत्रों में मांग बढ़ गई. अब शेखावत के पास चार भैंस हैं. उन्होंने एक हेल्पर भी रख लिया जो अब सारा डेयरी का काम देखता है. शेखावत की पत्नी भी डेयरी के प्रबंधन में मदद करती हैं. 

व्यवसाय में कर रहे हैं विस्तार

अपनी उपलब्धि से संतुष्ट शेखावत कहते हैं, "जल्द ही, मैं आसपास के क्षेत्र में एक आटा चक्की खोलकर विविधता लाने का इरादा रखता हूं, जहां मैं आठ लोगों को रोजगार देने की प्लानिंग कर रहा हूं. मैं अपनी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों की मदद से चीजों को मोड़ने में कामयाब रहा हूं. मेरी मां ने मुझे इस व्यवसाय को अपनाने के लिए प्रेरित किया. मेरी मां ने मुझे बताया कि परिस्थिति कैसी भी हो दूध और आटे का व्यापार हमेशा अच्छा करेगा.” 

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...काश 10 साल पहले बिजनेस में आया होता

शेखावत के मुताबिक काश उन्होंने आठ-दस साल पहले ही अपना काम शुरू कर दिया होता. शेखावत ने कहा, " मैंने 8 से 10 साल पहले यह काम शुरू किया होता तो मैं और अधिक सफल होता. अगर लोग नौकरी खो देते हैं उन्हें उद्यमी बनने पर विचार करना चाहिए” 

शेखावत ने अपनी पत्नी मरुधर कंवर के नाम पर डेयरी का नाम मरुधर डेयरी रखा है. 

शेखावत की पत्नी मरुधर कंवर ने इंडिया टुडे से कहा, "मेरे पति के नौकरी छोड़ने के बाद चीजें शुरू में हमारे लिए कठिन थीं. हम एक महीने तक सोचते रहे कि क्या करना है लेकिन फिर डेयरी व्यवसाय का फैसला किया. मुझे इस पेशे का कुछ पूर्व ज्ञान था. हम चीजों को मोड़ने में कामयाब रहे. मैं कारोबार में उनकी मदद कर रही हूं.” 

शेखावत जैसे कई लोग हैं,  जिन्होंने या तो मजबूरी में या अपनी पसंद से ही कोरोना काल में दूसरे व्यवसायों को अपनाया. शेखावत एक शाखा प्रबंधक के रूप में काम कर रहे थे, लेकिन महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थितियों का मतलब था कि उनकी नौकरी नहीं रही. उन्होंने डेयरी व्यवसाय को अपनाया, जिससे वो पहले की तुलना में कहीं अधिक संतुष्ट और खुश हैं.  

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शेखावत के मुताबिक कभी कभी विपत्ति भी अवसर में तब्दील होकर व्यक्ति का भाग्य बदल देती हैं, जैसा कि उनके साथ हुआ. 
 

 

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