
राजस्थान के करौली जिले में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही और एएनएम की गैरमौजूदगी की वजह से एक महिला की डिलीवरी अस्पताल की सीढ़ियों पर हो गई. परिजनों का आरोप है कि 30 मिनट तक मान-मनौव्वल करने के बावजूद प्रसूता को कुडगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती नहीं किया गया. आखिर में अस्पताल की चौखट पर ही बच्चे का जन्म हुआ.
कुड़गांव के अस्पताल के बाहर प्रसव पीड़ा महिला कराहती रही लेकिन चिकित्साकर्मियों की लापरवाही से भर्ती नहीं हो सकी. महिला ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की चौखट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया. हालांकि बाद में जच्चा-बच्चा को भर्ती कर लिया गया और प्राथमिक उपचार किया गया. दोनों को करौली जिले के लिए रेफर भी कर दिया गया.
दरअसल मनोहरपुरा में रहने वाली एक महिला प्रसव पीड़ा से कराहती हुई कुड़गांव अस्पताल पहुंची थी. परिजनों का आरोप है कि गर्भवती महिला की स्थिति गंभीर होने पर भी चिकित्साकर्मियों ने परिजनों को भर्ती करने की प्रक्रिया में इधर-उधर भटकाया. इस दौरान महिला दर्द से कराहती रही और उसकी किसी भी मेडिकल स्टाफ ने सुधि नहीं ली. महिला ने चिकित्सालय की चौखट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया.
अररिया: ये कैसा प्रशासन? रिपेयरिंग के नाम पर रोड बंद, गर्भवती की सड़क पर डिलीवरी
डिलीवरी के बाद तैयार हुआ मेडिकल स्टाफ
जब महिला के साथ आए परिजनों और कस्बे के लोगों ने शोर मचाते हुए नर्स और अन्य स्टाफ पर लापरवाही के आरोप लगाए, तब जाकर प्रसूता देखने के लिए डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ तैयार हुआ. तय समय से पहले प्रसव होने की वजह से जच्चा-बच्चा करौली जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया.
परिजनों का आरोप है कि भर्ती की प्रक्रिया में अनावश्यक देरी की गई. उनके बार-बार गंभीर स्थिति बताने पर भी अस्पताल स्टाफ महिला को बिना औपचारिकता भर्ती करने को तैयार नहीं हुआ.
क्या है अस्पताल प्रशासन का पक्ष?
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉक्टर अमित कुमार उपाध्याय ने बताया इस दौरान वह नहीं थे. लौटने पर स्टाफ ने घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी. लापरवाही के आरोप गलत हैं. जैसे ही स्टाफ को महिला की बिगड़ी स्थिति का पता चला, उन्होंने उसे संभाल लिया था. समय पहले प्रसव होने की वजह से करौली रेफर कर दिया गया.