नाग मिसाइल का सफल परीक्षण, 2018 के अंत तक सेना को मिलेगी!

इस सफलता पर मिसाइल एंड स्ट्रैटेजिक सिस्टम के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए कहा कि यह मिसाइल किसी भी परिस्थितियों में दुश्मन के हर टारगेट को बर्बाद कर सकती है.

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नाग मिसाइल (फाइल फोटो) नाग मिसाइल (फाइल फोटो)

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 01 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज में भारत के थर्ड जनरेशन एंटी टैंक नाग मिसाइल के अपग्रेडेड वर्जन का सफल परीक्षण बुधवार को किया गया. फायर एंड फारगेट का दर्जा प्राप्त नाग मिसाइल के प्रोसपीना मिसाइल वर्जन का सफल ट्रायल सेना और डीआरडीओ के उच्च अधिकारियों के सामने जैसलमेर के पोखरण रेंज में हुआ.

सेना के सूत्रों के अनुसार इस एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ने अपने डमी टारगेट को अचूक निशाने के साथ साधा. डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन के अधिकारी इस संस्था के द्वारा बनाए गए मिसाइल के परीक्षण के दौरान इसकी बारीकियों को परखते रहे. इसके लिए दो टैंकों पर डमी टारगेट रखा गया था. इस नए वर्जन के नाग मिसाइल से इन टारगेट्स को नेस्तनाबूद किया.

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इस सफलता पर मिसाइल एंड स्ट्रैटेजिक सिस्टम के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए कहा कि यह मिसाइल किसी भी परिस्थितियों में दुश्मन के हर टारगेट को बर्बाद कर सकती है. अब इसके डेवलपमेंट और ट्रायल का काम पूरा हो गया है. अब यह सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है. सेना के सूत्रों के अनुसार साल 2018 के अंत तक नाग मिसाइल को सेना में शामिल कर लिया जाएगा.

पोखरण रेंज के चांधण में नाग के अपडेटेड वर्जन प्रोसपीना मिसाइल का यह दूसरा ट्रायल था. इससे पहले 13 जून 2017 में इसका ट्रायल किया गया था. इस बार के यूजर ट्रायल में इमेजिंग इंफ्रारेड सिकर्स में और सुधार किया गया है जो कि मिसाइल को छोड़ने के बाद टारगेट को हिट करने के लिए गाइड करता है. इससे पहले ट्रायल के दौरान इंफ्रारेड सिकर्स को टारगेट और उसके आसपास के इलाकों का ज्यादा तापमान में पहचान करने में दिक्कत आ रही थी. इसलिए इस मिसाइल में अब कुछ संवेदनशील डिटेक्टर डाले गए हैं, जो गर्मी में भी इंफ्रारेड सिग्नल को भाप लेते हैं.

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डीआरडीओ के सूत्रों ने बताया कि इस मिसाइल की कई खूबियां हैं. यह मिसाइल इमेज के जरिए संकेत मिलते ही टारगेट भाप लेती है और दुश्मन के टैंक का पीछा करते हुए उसे तबाह कर देती है. सबसे बड़ी बात है कि इस हल्की मिसाइल को पहाड़ी पर या एक जगह से दूसरी जगह मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है. इसका कुल वजन मात्र 42 किलो है.

इस मिसाइल को विकसित करने में अब तक 350 करोड़ से ज्यादा का बजट लग चुका है. इसकी खासियत है कि यह दिन और रात दोनों वक्त में काम करती है. इस मिसाइल को 10 साल तक बिना किसी रख रखाव के इस्तेमाल किया जा सकता है. ये 230 किलोमीटर प्रति सेकंड के हिसाब से अपने टारगेट को भेदती है. अपने साथ ये 8 किलोग्राम विस्फोटक लेकर चल सकती है.

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