
21वीं सदी में क्या आप किसी ऐसे गांव की कल्पना कर सकते हैं, जहां ना तो बिजली की व्यवस्था हो और ना ही पानी की. संचार के नाम पर सिर्फ एक पोस्ट ऑफिस हो और वो भी 17 गांवों में सिर्फ एक. जाहिर तौर पर आप ऐसे किसी गांव की कल्पना नहीं कर पा रहे होंगे, लेकिन भारत में अब भी ऐसे कई गांव मौजूद हैं, जिनकी तस्वीर ऐसी ही है.
हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, लेकिन इसके उलट एक तस्वीर जोधपुर के फलोदी विधानसभा क्षेत्र के चाखू गांव के पोस्ट ऑफिस की है, जहां आज भी मूल भूत सुविधाएं नहीं हैं और महीनों बाद चिट्ठियां मिलती हैं.
जोधपुर जिले के गणेशनगर, बाबे का धोरा, पाबूपुरा, गणेशपुरा, मटोल, खैगासर, शिवसागर, बन्नेसिंहपुरा, विश्नसर, महादेवनगर, मटोल टांका व छीलासर आदि 17 गांवों का यही एक डाक घर है. जहां ना बिजली है और ना पानी की सुविधा है. धोरों के बीच बसे गांवों का झोपड़ी में बना यह पोस्टऑफिस हर दिन खुलता भी नहीं है. दो कर्मचारियों को कभी इधर के गांव तो कभी उधर के गांव डाक पहुंचानी पड़ती है. इस इलाके में बड़ी संख्या में लोग सेना में नौकरी करते हैं. लिहाजा उनकी सुविधा के लिए यह डाकघर सितंबर 1983 में शुरू हुआ था, तब से यह इसी हाल में है.
डिजिटल इंडिया का ख्वाब सुदूर गावों में अभी बहुत दूर की बात है. इंटरनेट की उपलब्धता और कंप्यूटर लिट्रेसी तो यहां दूर-दूर तक नहीं है. डिजिटल इंडिया के उलट यह तस्वीर आप क्षेत्र के चाखू गांव में शाखा पोस्ट ऑफिस के रूप में देखने को मिल रही है, जिसके चलते यह दो कर्मचारी है जो 17 गांव तक डाक वितरण करते है.