
शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है, लेकिन केंद्र की एनडीए सरकार को लगा कि नाम में ही सबकुछ रखा है. शायद इसीलिए इंदिरा आवास योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री आवास योजना रख दिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब इस योजना का हवाला देते हुए कहते हैं कि साल 2022 तक सभी बेघर लोगों को घर दे देंगे, तो सुनने में बेहद अच्छा लगता है. मगर जब हम इस योजना की जमीनी हालात देखने गांवों में गए, तो कम से कम राजस्थान में तो स्थिति बेहद खराब दिखी.
10 लाख घर बनाने थे, लेकिन एक लाख भी नहीं बन पाए. राजस्थान का शायद ही कोई जिला हो, जहां आवास बनाने के 10 फीसदी लक्ष्य को पूरा किया गया हो. हजारों की संख्या में लोग आवास के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. मगर सरकार कहती है कि पता कर रहे हैं कि गलती कहां है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषण में बार-बार दोहराते हैं कि साल 2022 तक देश के हर नागरिक के सिर पर अपनी छत होगी, लेकिन जरा सोचिए....उस व्यक्ति पर क्या गुजरती है? जो एक तरफ प्रधानमंत्री का भाषण सुनता है, तो दूसरी तरफ एक छत के लिए कई सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है.
राजस्थान सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2016-17 में 4 लाख 31 हजार 217 घर बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन मात्र 68 हजार 8 85 आवास ही बना पाए. इसी तरह साल 2017-18 के लिए 6 लाख 75 हजार घर बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अबतक 40 हजार घर भी नहीं बन पाए हैं. इस हकीकत की पड़ताल के लिए आजतक की टीम जयपुर जिले के पंचायत मूंडियारामसर पहुंची. यहां पंचायत भवन में हमें पता लगा कि इस पंचायत में 4 साल पहले 2013 में 27 लोगों की सूची इंदिरा आवास योजना के लिए बनी थी, लेकिन साल 2016 में नौ महीने में सिर्फ तीन लोगों का चयन प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए चयन हुआ.
इन्होंने फार्म भरकर भेज दिया. मगर अबतक पहली किस्त भी नहीं आई. टीन-टप्पड़ के घर में रह रहे सूरज वर्मा का परिवार खेतों में मजदूरी कर पेट पालता है. सूरज का परिवार 2013 से खुद के लिए छत के इंतजार में है. मूंडियरामसर के 27 लोगों की सूची देखिए, जिनका चयन तब के इंदिरा आवास योजना के लिए हुआ था. इनमें से तीन को छोड़कर बाकी के नाम के आगे लिखा है कि या तो वो पलायन कर गए हैं या फिर सरकारी जमीन पर बसे हैं या फिर उनके पास अपनी जमीन नहीं है. लिहाजा उनको प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पैसे नहीं मिल सकते हैं. सरपंच धर्मेंद्र चौधरी कहते हैं कि हम तो कह गए लेकिन बीते चार सालों में पीएम आवास के लिए कोई पैसा नहीं मिला. अब जरा राजस्थान सरकार के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लक्ष्य और उसको पूरा किए गए लक्ष्य को भी देख लीजिए. जिस जयपुर में सरकार बैठती है, वहीं 5439 मकान बनने थे, मगर सिर्फ 161 मकान बनें.
PMAY -G के तहत जिले के अनुसार घरों की संख्या की सूची
Name of District Targeted No. of Houses Registered Benefiaries
राजसमंद 6791 62
जैसलमेर 6156 100
चुरू 5699 94
अलवर 3883 90
दौसा 8520 235
जयपुर 5439 161
भरतपुर 5056 161
बीकानेर 8662 414
टोंक 9310 492
झुंझुनूं 1077 61
हनुमानगढ़ 5899 390
बाड़मेर 26816 2152
श्री गंगानगर 7254 584
धौलपुर 7292 618
प्रतापगढ़ 17223 1487
सवाई माधोपुर 8059 830
उदयपुर 46036 6088
भीलवाड़ा 11905 1633
जालोर 20921 2927
चित्तौड़गढ़ 10300 1456
बांसवाड़ा 53879 7875
सिरोही 12916 2075
करौली 10158 1653
डूंगरपुर 34246 6246
बूंदी 13392 2593
नागौर 11208 2446
सीकर 1586 386
जोधपुर 22868 5729
बारां 12091 3348
झालावाड़ 11343 3234
कोटा 7019 2145
अजमेर 6045 1854
पाली 12167 9266
कुल 431217 68885