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राजस्थानः करौली में पुजारी के साथ क्या हुआ? ग्रामीणों ने बताया पूरा घटनाक्रम

ग्रामीणों के मुताबिक दबंग मंदिर की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे. दबंगों ने उस जमीन पर एक झोपड़ी लगा ली थी. दूसरी झोपड़ी लगाने जा रहे थे.

ग्रामीणों ने बताया घटनाक्रम (फोटोः एएनआई) ग्रामीणों ने बताया घटनाक्रम (फोटोः एएनआई)
शरत कुमार
  • करौली,
  • 10 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST
  • मंदिर की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे दबंग
  • जेसीबी लेकर खुदाई कराने पहुंचा था दूसरा पक्ष
  • पटवारी को भी बता रहे दोषी, कार्रवाई की मांग

राजस्थान के करौली में दबंगों ने पुजारी को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला दिया. उपचार के दौरान जयपुर के सवाई माधो सिंह अस्पताल में पुजारी की मौत हो गई. इस घटना को लेकर सियासत सरगर्म है. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और सत्ताधारी कांग्रेस आमने-सामने हैं. पुजारी के साथ दबंगों ने क्या किया, घटना वाले दिन की पूरी कहानी ग्रामीणों ने आजतक को बताई.

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ग्रामीणों के मुताबिक दबंग मंदिर की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे. दबंगों ने उस जमीन पर एक झोपड़ी लगा ली थी. दूसरी झोपड़ी लगाने जा रहे थे. इसकी जानकारी होने के बाद पुजारी बाबूलाल वैष्णव ने इसका विरोध किया और मौके पर जाकर उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश की. परिजनों के मुताबिक दबंगों ने पुजारी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी.

ग्रामीण बताते हैं कि दबंगों ने पुजारी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगाने के बाद उन्हें वहीं पटक दिया. आग में जलते पुजारी इधर-उधर भागते रहे. पुजारी के रिश्तेदार ललित ने कहा कि इसकी जानकारी मिलते ही वह दौड़ते-भागते मौके पर पहुंचे और आग बुझाई, लेकिन तब तक वे काफी जल चुके थे. आनन-फानन में पुजारी को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया. नजदीकी अस्पताल के चिकित्सकों ने पुजारी को प्राथमिक उपचार के लिए करौली के लिए रेफर कर दिया.

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ललित के मुताबिक पुलिसवालों ने भी करौली के बजाय जयपुर ले जाने को कहा. पुजारी को जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल ले गए, लेकिन वहां चिकित्सकों ने उपचार से इनकार कर दिया. डॉक्टरों ने बताया कि वे 90 फीसदी तक जल चुके हैं. इसके बाद पुजारी को सवाई माधो सिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान पुजारी ने दम तोड़ दिया.

ग्रामीण पुजारी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए हैं. ग्रामीण पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीण अपनी मांगें पूरी होने तक अंतिम संस्कार नहीं करने पर अड़े हैं. घटना के 48 घंटे बाद जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक गांव पहुंचे हैं.

 

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