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स्टेशन पर नहीं रोकी ट्रेन, लोको पायलट को मिली जिंदगी भर इंजन चलाने की सजा

करीब 10 किमी दूर जाने पर लोको पायलट को कुछ गड़बड़ी समझ आई तो उन्होंने ट्रेन रोकी. तब जाकर उन्हें पता लगा कि वो छोटी खाटू स्टेशन पीछे छोड़ चुके हैं जहां उनका स्टॉपेज था. गलती का एहसास होने पर गार्ड और लोको पायलट ने ट्रेन को करीब 10 किमी पीछे लिया. बाद में यात्रियों को लेकर ट्रेन आगे बढ़ी.

प्रतीकात्मक फोटो. प्रतीकात्मक फोटो.
आदित्य बिड़वई
  • जोधपुर ,
  • 05 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 4:53 PM IST

राजस्थान के खाटू स्टेशन पर ट्रेन नहीं रोकना दो लोको पायलट को इतना महंगा पड़ गया कि रेलवे ने दोनों को जिंदगी भर सिर्फ इंजन चलाने की सजा दी है. दरअसल, 25 फरवरी को ट्रेन संख्या 22481 जोधपुर से रवाना हुई थी. इस ट्रेन को लोको पायलट अब्दुल वहीद व सहायक पायलट ओमकार कटारिया चला रहे थे.

तय समय के अनुसार वो ट्रेन लेकर रात 9:30 बजे डेगाना से निकले. अगला स्टॉप छोटी खाटू स्टेशन था. यहां कई यात्री ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. जबकि कुछ पैसेंजर्स को ट्रेन से उतरना भी था. लेकिन स्टेशन पर रुकने के बजाय ट्रेन 100 की रफ्तार से दनदनाती हुई निकल गई.

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करीब 10 किमी दूर जाने पर लोको पायलट को कुछ गड़बड़ी समझ आई तो उन्होंने ट्रेन रोकी. तब जाकर उन्हें पता लगा कि वो छोटी खाटू स्टेशन पीछे छोड़ चुके हैं जहां उनका स्टॉपेज था. गलती का एहसास होने पर गार्ड और लोको पायलट ने ट्रेन को करीब 10 किमी पीछे लिया. बाद में यात्रियों को लेकर ट्रेन आगे बढ़ी.

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केवल इंजन चलाएंगे लोको पायलट...

इस गलती के सामने आने पर रेलवे ने जांच बैठाकर लोको पायलट अब्दुल वहीद और सहायक पायलट ओमकार कटारिया को केवल इंजन चलाने और खाली ट्रेनों की शंटिंग करवाने की सजा दी है. अब दोनों लोको पायलट जीवन भर पैसेंजर ट्रेन नहीं चला सकेंगे.

नहीं है सिग्नल व्यवस्था...

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि खाटू हॉल्ट स्टेशन है. इस कारण यहां ना तो सिग्नल व्यवस्था है और ना ही कोई रेलवे कर्मचारी तैनात है. इसलिए स्टेशन आने से पहले ट्रेन को धीमे कर स्टेशन पर रोकने की जिम्मेदारी लोको पायलट व सहायक लोको पायलट की ही होती है, लेकिन दोनों ट्रेन को रोकने के बजाय 100 की रफ्तार से पार कर गए.

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