
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में सोमवार को 23 मंत्रियों ने शपथ ली. सूबे के 11 फीसदी मुस्लिम समाज से महज एक मंत्री को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. जबकि पार्टी से मुस्लिम समाज के 7 विधायक जीतकर आए हैं. कांग्रेस की इस अनदेखी से मुस्लिम समाज नाराज नजर आ रहा है. 'राजस्थान मेव पंचायत' ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर मुस्लिम मेव समाज से मंत्री बनाए जाने की मांग की है.
बता दें कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से 7 मुस्लिम जीतने में सफल रहे थे. इसके अलावा एक सीट पर बसपा से मुस्लिम विधायक बना है. कांग्रेस से जाहिदा खान, सालेह मोहम्मद, हाकम अली, रफीक खान, अमीन कागजी, अमीन खान, दानिश अबरार और बसपा से वाजिब अली खान विधायक बने हैं.
कांग्रेस ने मंत्री मंडल के लिए फॉर्मूला बनाया है कि जो विधायक पहली बार जीते हैं, उन्हें मौका नहीं दिया जाएगा. ऐसे में पांच विधायक ऐसे हैं जो पहली बार विधायक बने हैं. जबकि कांग्रेस के तीन विधायक ऐसे हैं जो एक बार से ज्यादा जीत हासिल कर चुके है. इस फॉर्मूले के तहत गहलोत के नए मंत्रिमंडल में सालेह मोहम्मद मंत्री बनाया जा रहा है. जबकि जाहिदा खान का नाम भी मंत्री के लिए चल रहा था.
मस्लिम समाज और संगठनों ने गहलोत सरकार में मुस्लिम नुमाइंदगी को लेकर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. उन्हें लगता है कि कांग्रेस ने उन्हें नजर अंदाज किया है. इतना ही नहीं राजस्थान में मुसलमानों के सबसे मजबूत वोटबैंक माने जाने वाले मुस्लिम मेव समाज को तवज्जो नहीं मिली है. इसे लेकर मेव समाज में भारी नाराजगी दिख रही है. जबकि सूबे में अलवर और भरतपुर समेत कई जिलों में मेव समाज के मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है.
राजस्थान मुस्लिम मेव समाज के अध्यक्ष चौधरी शब्बीर अहमद ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर कहा है कि सूबे में मेव समाज ने एकजुट होकर कांग्रेस को वोट दिया है. ऐसे में मेव समाज से जीते हुए विधायकों को मंत्री नहीं बनाने से समाज में रोष है. यही रवैया रहा तो पार्टी को लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
मिल्ली काउंसिल के राजस्थान अध्यक्ष अब्दुल कय्यूम ने कहा, 'मुस्लिम समाज से महज एक मंत्री बनाना सरासर नाइंसाफी है. इस संबंध में हमारा प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात कर मुसलमानों के भागेदारी को बढ़ाने की मांग की है. सूबे में पहले की कांग्रेस सरकार में एक से ज्यादा मंत्री रहे हैं.'
मोहम्मद जाहिद ने बताया कि राजस्थान के मुसलमानों की आवाज उठाने वाला दिल्ली में कोई नहीं बचा है. इसी का नतीजा है कि मुसलमानों की सरकार में भागेदारी न के बराबर है. जबकि एक तौर में तय्यब चौधरी जैसे नेता थे. अब उनकी कमी खल रही है. मुसलमानों के पास विकल्प न होने के चलते कांग्रेस उसका फायदा उठा रही है.
बता दें कि राजस्थान के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर कांग्रेस को वोट दिया था. इसका नतीजा था कि टोंक सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले यूनुस खान के बजाय मुस्लिम समाज से कांग्रेस के सचिन पायलट को वोट करके जिताया.