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राजस्थान में अमित शाह को याद आए अखलाक-NRC, क्या यह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के संकेत?

राजस्थान विधानसभा चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को जयपुर में चुनावी बिगुल फूंकते हुए जिस तरह से अखलाक और एनआरसी के मुद्दे को उठाया है, उससे राजनीतिक कयास लगाए जाने लगे हैं.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST

राजस्थान विधानसभा चुनाव के सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मंगलावर को जयपुर से चुनावी बिगुल फूंकते हुए गौहत्या के शक में मारे गए अखलाक से लेकर असम के एनआरसी तक मुद्दा उठाया.

शाह के द्वारा दिए बयान के राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं. ऐसे में बीजेपी कहीं राजस्थान की सत्ता में वापसी के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सहारा तो नहीं ले रही है?

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बीजेपी अध्यक्ष ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से कहा कि अखलाक कांड और अवॉर्ड वापसी के बाद भी हम जीते थे. कुछ भी हो जाए, हम ही जीतेंगे. अखलाक के साथ-साथ शाह ने NRC मुद्दे को भी उठाया और कहा कि एक भी बांग्लादेशी घुसपैठिए को भारत में नहीं रहने दिया जाएगा, सभी को चुन-चुन कर बाहर निकाल देंगे.

बता दें कि गोहत्या के शक में यूपी के दादरी में अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद कई बड़े लेखकों ने असहिष्णुता बढ़ने का आरोप लगाते हुए अवॉर्ड वापस कर दिया था.

वहीं, बीजेपी नेताओं ने अखलाक के गांव पहुंचकर आरोपियों के परिवार से मुलाकात की थी. इसके बाद हुए यूपी के विधानसभा चुनाव में श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक के मुद्दे उठाए गए थे. बीजेपी को इसका फायदा भी मिला और पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी.

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जमात-ए-इस्लामी हिंद के महासचिव सलीम इंजीनियर ने आजतक से बातचीत में कहा कि राजस्थान में बीजेपी के खिलाफ माहौल बना हुआ है. वसुंधरा राजे की सरकार सत्ता में वापस आती नजर नहीं आ रही है. इसी मद्देनजर बीजेपी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश में जुट गई है.

उन्होंने कहा कि बीजेपी अध्यक्ष ने जिस तरह से अखलाक और NRC के मुद्दे को उठाया है, उसके राजनीतिक संकेत को साफ समझा जा सकता है. राजस्थान में पिछले दिनों मॉब लिंचिंग के कई मामले हुए हैं. ऐसे में लगता है कि यह बीजेपी की शह पर और योजना के तहत किया जा रहा है. इन मामलों में पुलिस का रवैया भी काफी भेदभाव वाला रहा है. अमित शाह के बयान से हमारा शक यकीन में बदल गया है.

सलीम इंजीनियर ने शक जाहिर करते हुए कहा कि बीजेपी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ जातीय ध्रुवीकरण करने की योजना भी बना रहा है. 2 अप्रैल को भारत बंद मामले में दलित समुदाय के काफी लोगों को गिरफ्तार करके कार्रवाई की गई है. वो बीजेपी की सोची समझी राजनीति का हिस्सा है.

उन्होंने कहा कि इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि बीजेपी का जो वोटबैंक रहा है वो नाराज है. ऐसे में बीजेपी को सत्ता जाने का खतरा मंडरा रहा है. इसी के मद्देनजर उन्हें साधने के लिए ये सब कोशिश की जा रही है. बीजेपी सांप्रदायकि और जातीय ध्रुवीकरण चुनाव के दौरान करती रही है.

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राजस्थान में कांग्रेस नेता साजिद अहमद कहते हैं कि बीजेपी इस बात को मान चुकी है कि सत्ता उसके हाथों से निकल चुकी है. इसीलिए अब वो इस हद तक नीचे गिर गई है और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती है. हमें यकीन है कि बीजेपी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं होगी.

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