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वसुंधरा के चुनावी रथ में ब्रेक लगाने में जुटे बैंसला की गुर्जर-रेबारी-राजपूत गठजोड़ की कोशिश

राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी गौरव यात्रा का दूसरा चरण पूरा करते हुए मेवाड़ और मारवाड़ का दौरा कर चुकी हैं. लेकिन गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला उनकी यात्रा पर ब्रेक लगाने में जुट गए हैं.

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:50 AM IST

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए चुनावी रथ पर सवार होकर गौरव यात्रा निकाल रही हैं. मेवाड़ से शुरू हुई राजे की यात्रा का दूसरा चरण मारवाड़ में खत्म हुआ. लेकिन जातीय आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला आगे होने वाली उनकी इस यात्रा पर ब्रेक लगा सकते हैं.

गुर्जर-रेबारी-राजपूत गठजोड़ बनाने की कवायद

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दरअसल गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला आरक्षण के मुद्दे पर गुर्जर, रेबारी और राजपूत समाज को सरकार के खिलाफ एकजुट करने की कवायद में जुटे हैं. जिसकी एक झलक उन्होंने जोधपुर में रेबारी समुदाय के नेताओं की विशेष पिछड़ी जाति (SBC) के तहत आरक्षण की मांग को समर्थन का वादा करके दे दी है. रेबारी समुदाय जिन्हें देवासी और रायका के नाम के भी जाना जाता है, ग्वालों का एक समुदाय है जो मुख्यत: गाय चराते हैं. यह बिरादरी राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और कर्नाटक में पाई जाती है.

गौरतलब है कि इससे पहले अगस्त में भरतपुर संभाग में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा को गुर्जरों और राजपूतों के संयुक्त विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसकी वजह से इलाके में यात्रा रद्द कर दी गई. हालांकि इसी दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया. लिहाजा मुख्यमंत्री ने कुछ दिनों के लिए सभी कार्यक्रम रद्द कर दिये.

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राजपूत क्यों हैं नाराज?

राजस्थान की राजपूत बिरादरी भी अन्य पिछड़ी जाति (OBC) के तहत नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रही है. आरक्षण की मांग को लेकर राजपूत आरक्षण मंच 3 अगस्त को मेवाड़ क्षेत्र के राजसमंद में सीएम की गौरव यात्रा के विरोध में उतर आए थें. तो वहीं 8 अगस्त को राजपूत आरक्षण मंच के नेता, बैंसला के जयपुर स्थित आवास पर मिलें. जिसके बाद यह तय हुआ कि मुख्यमंत्री राजे की यात्रा का भरतपुर संभाग के गुर्जर बहुल सवाई माधोपुर और करौली जिले में विरोध किया जाएगा.

राजपूतों में वसुंधरा सरकार के खिलाफ यह विरोध आरक्षण के अलावा अन्य कारणों से भी है, जिसमें बीजेपी के कद्दावर नेता रहे जसवंत सिंह की अनदेखी और जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत का बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष न बनना भी शामिल है. बता दें कि गौरव यात्रा के दौरान मारवाड़ क्षेत्र के जोधपुर संभाग की 33 में से 32 विधानसभा क्षेत्रों में मुख्यमंत्री की सभाओं का आयोजन किया गया. लेकिन सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र को उन्होंने अपनी यात्रा में शामिल नहीं किया और यह क्षेत्र है बाड़मेर का शिव विधानसभा, जहां से जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह भाजपा से विधायक हैं. गौरव यात्रा में शिव विधानसभा क्षेत्र की अनदेखी को जसोल परिवार से मुख्यमंत्री की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है.

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हालांकि मारवाड़ में गौरव यात्रा के समापन के दौरान जोधपुर के राजा और पूर्व सांसद गज सिंह वसुंधरा के साथ दिखें. महाराजा गज सिंह का राजपूतों में अच्छा खासा प्रभाव है. तो वहीं जसवंत सिंह के प्रभाव वाले बाड़मेर में उनके राजे के साथ देखे जाने के पीछे कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.

वसुंधरा की कोशिश हुई नाकाम

बैंसला का कहना है कि आरक्षण पर सरकार की नीति देर करो, इनकार करो की है. समुदाय 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर पहले से ही आंदोलनरत है. तो वहीं आरक्षण की मांग को लेकर रेबारी और राजपूत समाज भी हमारे साथ है. बैंसला का कहना है कि ब्राह्मण समाज को भी इस गठजोड़ में उनके साथ शामिल होना चाहिए.

उधर चुनावी माहौल में बैंसला की नाराजगी को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से वार्ता के लिए पिछले शुक्रवार को आमंत्रित भी किया गया था. लेकिन इस वार्ता में बैंसला के गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अलावा गुर्जर नेता हिम्मत सिंह भी पहुंच गए. लेकिन अफसरों ने बैंसला गुट से ही वार्ता की. बैंसला का कहना है कि उनकी मांग जब तक नहीं मानी जाएगी तब तक समिति गौरव यात्रा का विरोध करेगी.

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