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राजस्थान में शाह का जोर दलित वोटों पर, जातीय गणित साधने की रणनीति

बीजेपी राजस्थान की सत्ता में दोबारा से वापसी के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. पार्टी अपने परंपरगत दलित मतदाताओं को साधने की रणनीति बनाई है. इसके लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गुरुवार को बीकानेर संभाग में दलित सम्मेलन को संबोधित करेंगे.

वसुंधरा राजे और अमित शाह (फोटो क्रेडिट, PTI) वसुंधरा राजे और अमित शाह (फोटो क्रेडिट, PTI)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 10:50 AM IST

राजस्थान विधानसभा चुनाव की सियासी जंग फतह करने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एक के बाद एक दौरा कर रहे हैं. इस कड़ी में गुरुवार को शाह ने बीकानेर में दलित सम्मेलन के जरिए राज्य में जातीय गणित साधने का प्लान बनाया है.

बता दें कि राजस्थान की करीब 17.8 फीसदी मतदाता हैं. इनमें 3.9 फीसदी हिस्सा गांवों में और 3.9 फीसदी हिस्सा शहरों में रहती है. राज्य में कुल 200 सीटें हैं. इनमें 142 सीट सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं.

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राजस्थान में दलित मतदाता बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन उपचुनाव में पार्टी से उसका मोहभंग हुआ है. इसी का नतीजा था कि कांग्रेस को जीत और बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था.

राजस्थान बीजेपी अपने परंपरागत वोट बैंक दलित, राजपूत और ब्राह्मण के खिसकने से तो परेशान हैं. ऐसे में बीते एक दशक में दलित वोटबैंक कांग्रेस छोड़ बीजेपी के साथ जुड़ा रहा. लेकिन इस बार दलित बीजेपी का मोह छोड़ फिर से अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस की तरफ लौट सकते हैं.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ऐसे में जातीय समीकरण साधने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. इस कड़ी में बीजेपी गुरुवार को बिकानेर संभाग में दलित सम्मलेन कर रही है, जिसे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह संबोधित करेंगे.

दलित समुदाय का सबसे ज्यादा वोट इसी बीकानेर संभाग में है. इसके अलावा कई सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. बीकानेर संभाग में दो लोकसभा क्षेत्र बीकानेर और श्रीगंगानगर दलित समुदाय के लिए आरक्षित है. इसके अलावा 5 विधानसभा सीटें भी दलित समुदाय के आरक्षित है.

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दलित सीटों से ज्यादा महत्वपूर्ण बात ये है कि बीकानेर संभाग में 19 विधानसभा सीटों पर दलितों का साथ आना या छिटकना हार जीत तय करने में अहम भूमिका अदा करता है.

SC/ST एक्ट को लेकर हुए आंदोलन में जिस तरह से दलितों पर कार्रवाई हुई है, उससे वे खासा नाराज हैं. ऐसे में बीजेपी लगातार दलितों को साधने की कोशिश में है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल को ने कैंपेन कमेटी का सहसंयोजक बना कर बीजेपी ने दलितों के लिए संदेश देने की कोशिश की है.  

अमित शाह दलित सम्मेलन के जरिए कोशिश इसी नाराजगी को दूर करने है. शाह कौन सा मंत्र दलित सम्मेलन में देते है कि दलित फिर से बीजेपी को थाम ले और परंपरागत तरीके से वोट करेंगे.

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