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बीजेपी को झटका, कांग्रेस में शामिल हुए जसवंत के बेटे मानवेंद्र सिंह

विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र और उनका पूरा परिवार बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गया.

मानवेंद्र सिंह पूरे परिवार के साथ पूजा करते हुए (फोटो-facebook) मानवेंद्र सिंह पूरे परिवार के साथ पूजा करते हुए (फोटो-facebook)
शरत कुमार
  • नई दिल्ली/जयपुर,
  • 17 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 1:32 PM IST

बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के पूरे परिवार ने बुधवार को कांग्रेस का हाथ थाम लिया. राजस्थान के मारवाड़ इलाके में खासा प्रभाव रखने वाले जसवंत के परिवार का बीजेपी से अलग होना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह आज पूरे परिवार के साथ पार्टी में शामिल हो गए. मानवेंद्र इस समय बीजेपी से शिव सीट से विधायक हैं. मानवेंद्र के साथ उनकी पत्नी चित्रा सिंह, जीवंत सिंह के दूसरे बेटे भूपेन्द्र सिंह और जसवंत सिंह की पत्नी शीतल कवर ने कांग्रेस की सदस्यता ली. कांग्रेस का दामन थामने के बाद मानवेंद्र सिंह ने पूरे परिवार के साथ अपने आवास पर यज्ञ भी कराया.

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पिछले महीने छोड़ी थी बीजेपी

पिछले महीने हुई बाड़मेर के पचपदरा की स्वाभिमान रैली में मानवेंद्र सिंह ने 'एक ही भूल कमल का फूल' कहकर बीजेपी छोड़ दी थी. उसके बाद से अटकलें लगाई जा रही थी कि मानवेंद्र सिंह कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं, लेकिन अब मानवेंद्र ने साफ कर दिया है कि वो कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं.

बाड़मेर के कांग्रेसी नेताओं ने भी इसका स्वागत किया. कांग्रेस के सचिव हरीश चौधरी ने कहा कि उन्होंने मानवेंद्र सिंह का विरोध नहीं किया है. उनके आने से कांग्रेस और मजबूत होगी. राजस्थान में राजपूत बीजेपी के कोर वोट बैंक रहे हैं.

राजपूतों को जोड़ने में लगी कांग्रेस

कांग्रेस इस बार कोशिश कर रही है कि नाराज राजपूतों को तोड़ा जाए और कांग्रेस में लाया जाए. हालांकि, बीजेपी कोशिश कर रही है कि राजपूतों का डर दिखाकर कांग्रेस के परंपरागत वोटर जाटों को अपने पक्ष में लाया जाए, लेकिन कांग्रेस अपने जाट नेताओं को भरोसे में लेकर नाराज राजपूतों को रिझाने की कोशिश कर रही है.

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2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिया था. इससे उनको निर्दलीय ही चुनाव लड़ना पड़ा था. उस चुनाव में जसवंत सिंह हार गए थे. इसी के बाद से जसवंत सिंह का परिवार बीजेपी से नाराज चल रहा था.

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