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भरतपुर: कोरोना टेस्ट सैंपल लेने वाले कोविड वॉरियर्स को 4 महीने से नहीं मिला वेतन, CMO बोलीं- बजट नहीं मिला

राजस्थान के भरतपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां कोरोना टेस्ट का सैंपल लेने वाले कर्मचारी को पिछले चार महीने से वेतन ही नहीं मिला है, जो सवाल उठाता है कि कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई कैसे आगे बढ़ पाएगी.

कोरोना वॉरियर्स को सैलरी का इंतजार (सांकेतिक तस्वीर: PTI) कोरोना वॉरियर्स को सैलरी का इंतजार (सांकेतिक तस्वीर: PTI)
सुरेश फौजदार
  • भरतपुर,
  • 01 जून 2021,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST
  • भरतपुर के अस्पताल में सैलरी के इंतजार में वॉरियर्स
  • अस्थाई कर्मचारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिला

कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में हर स्वास्थ्यकर्मी का अहम योगदान है. चाहे वो कोई बड़ा डॉक्टर हो या फिर कोई नर्स, हर कोई अपनी ओर से कोरोना के खिलाफ इस जंग में एक रोल निभा रहा है. लेकिन राजस्थान के भरतपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां कोरोना टेस्ट का सैंपल लेने वाले कर्मचारियों को पिछले चार महीने से वेतन ही नहीं मिला है, जो सवाल उठाता है कि कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई कैसे आगे बढ़ पाएगी. 

दरअसल, भरतपुर के जिला RBM अस्पताल के कोविड सेंटर में करीब 50 अस्थाई कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें जनवरी से अबतक सैलरी नहीं मिली है. कर्मचारियों ने अस्पताल के प्रशासन से लेकर जिला कलेक्टर तक को शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई असर नहीं हुआ है. हालात ये हैं कि अस्पताल का कहना है कि उनके पास वेतन देने के लिए बजट ही नहीं है.

कोविड का सैंपल लेने वाले कर्मचारी को ही नहीं मिला वेतन
ये कर्मचारी कोविड सेंटर में काम करते है जो कोरोना संक्रमण का सैंपल लेते है. ऐसे में संक्रमण से ज्यादा खतरा सबसे पहले इन लोगों को ही होता है जबकि इनको वेतन महज सात हजार रुपये ही मिलता है लेकिन वह भी समय पर नहीं मिला है.

यहां काम करने वाले सत्येंद्र सिंह का कहना है कि वो कोविड वार्ड में तैनात हैं, लेकिन इस साल की जनवरी से उन्हें वेतन नहीं मिला है. हमने अधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन सैलरी नहीं मिल पाई है. भरतपुर के इसी वार्ड में ट्रॉली पुलर कप्तान सिंह का कहना है कि वो लंबे वक्त से काम कर रहे हैं, लेकिन पैसे नहीं मिले हैं जिसकी वजह से काफी दिक्कत हो रही है. 

अस्पताल बोला- बजट ही नहीं है 
जब कर्मचारियों की परेशानी को लेकर जिला अस्पताल की अधीक्षक डॉ. जिज्ञासा साहनी से सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि हमारे पास कोविड सेंटर में काम करने वाले अस्थाई कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बजट नहीं है. इस बारे में जिला कलेक्टर को अगवत कराया गया है, साथ ही चिकित्सा राज्य मंत्री को भी बताया जाएगा. डॉ. साहनी के मुताबिक, ये अस्थाई कर्मचारी ट्रॉली पुलिंग, कम्प्यूटर ऑपरेटर, कोविड टेस्ट सैंपल लेने का काम करते हैं.

गौरतलब है कि राजस्थान भी उन राज्यों में शामिल है, जहां कोरोना की पहली और दूसरी दोनों लहर ने ही अपना आतंक दिखाया. संकट के वक्त में स्वास्थ्यकर्मी ही सबसे आगे थे, ऐसे में उनकी समस्या का सामने आना सरकार पर सवाल खड़े करता है. 

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