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राजस्थान: नहीं मिल रहा MSP, कम कीमत पर बाजरा बेचने को मजबूर किसान

मंडी में किसानों को बाजरे की कीमत 1200 से लेकर 1400 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही है जबकि केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि बाजरे का समर्थन मूल्य 1950 रुपये प्रति क्विंटल होगा.

आधे से ज्यादा बाजरा बेच चुके हैं किसान (तस्वीर: शरत कुमार) आधे से ज्यादा बाजरा बेच चुके हैं किसान (तस्वीर: शरत कुमार)
परमीता शर्मा/शरत कुमार
  • जयपुर ,
  • 17 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

केंद्र की मोदी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों की फसल खरीदने की घोषणा की थी जिससे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई थी, लेकिन अब उन्हें निराशा हाथ लग रही है. किसान जब अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं तो उन्हें फसल की बिक्री के कम दाम मिल रहे हैं जिससे वो खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

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राजस्थान में बाजरे का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है और सरकार ने दावा किया था कि बाजरे का ऐतिहासिक समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है, किसान अब तक आधे से ज्यादा बाजरा बेच चुके हैं लेकिन समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए सेंटर नहीं खुले हैं. राज्य में चुनाव होने वाले हैं और इससे परेशान वसुंधरा सरकार ने तीन मंत्रियों को दिल्ली रवाना किया है.

किसानों ने बताया, नहीं मिल रही पूरी कीमत

किसानों की बाजरे की ये फसल सरकारी खरीद केंद्र पर पहुंचनी थी लेकिन किसानों को ये फसल जयपुर के पास चाकसू मंडी में ले जानी पड़ रही है जहां व्यपारी किसानों की फसल को अपनी मर्जी के अनुसार निलाम कर रहे हैं. मंडी में किसानों को बाजरे की कीमत 1200 से लेकर 1400 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रही है जबकि केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि बाजरे का समर्थन मूल्य 1950 रुपये प्रति क्विंटल होगा. चाकसू से फसल लेकर मंडी पहुंचे किसान बद्री चौधरी और राधेश्याम का कहना है कि यह केवल सुनने में आया कि सरकार बाजरे की 1950 रुपये दे रही है लेकिन हमें तो अपनी करीब 1350 रुपये मिले हैं.

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किसानों का कहना है कि इसी फसल को बेचकर उन्हें परिवार चलाना है और आगे के लिए भी फसल तैयार करनी है. उन्होंने कहा कि कब तक फसल को रोककर रखेंगे और इस उम्मीद में रहेंगे कि सरकार उनकी फसल खरीदेगी. किसानों ने कहा कि सरकार यह फसल तब खरीदेगी जब माल किसानों के पास से निकलकर व्यपारियों तक पहुंच जाएगा.

व्यापारी बोले- नहीं हो रही सरकारी खरीद

उधर व्यापारियों का कहना है कि सरकार ने अभी तक खरीद शुरू नहीं की है लिहाजा जो किसान मंडी में फसल लेकर आ रहे हैं हम उनसे फसल खरीद रहे हैं. मंडी अध्यक्ष नंदलाल मामोरिया का कहना है कि यहां सरकारी खरीद तो हो नहीं रही है, किसान आ रहे हैं तो व्यपारी 1200-1300 के भाव में फसल को खरीद रहे हैं.

राजस्थान में इस बार 40.37 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया गया था जिसमें 37.40 लाख मिट्रीक टन बाजरा हुआ है. कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार इसमें से 60 फीसदी यानी करीब 21 लाख मीट्रिक टन बाजरा बाजार में बिकने के लिए आता है. जब से बाजरा खेतों से निकला है तब से आधा बाजार में बिक चुका है लेकिन अभी तक समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं हुई है. राजस्थान सरकार को केंद्र सरकार की तरफ से कोई निर्देश नहीं मिले हैं.

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राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, खाद्य मंत्री बाबूलाल वर्मा और सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक तीनों ही चुनावी मौसम में सरकार की वादाखिलाफी से परेशान हैं. इनका कहना है कि हम तीनों इसीलिए दिल्ली जा रहे हैं कि सरकार किसानों से फसल खरीदने में देर क्यों कर रही है.

बता दें कि 29 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, महाराष्ट्र और कर्नाटक के गन्ना किसानों से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने किसानों की समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया था. उन्होंने कहा था कि खरीफ फसलों की लागत राशि पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 150 फीसदी किया जाएगा.

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