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राजस्थान हाईकोर्ट ने हड़ताली डॉक्टरों पर कार्रवाई के दिए आदेश

गौरतलब है कि राज्य में करीब 20 हजार सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से हाहाकार मचा हुआ है. मंगलवार को राज्य में चौथे दिन सेवारत सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर रहे. अस्पतालों में इलाज के लिए मरीज भटक रहे हैं.

राजस्थान में करीब 20 हजार सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल राजस्थान में करीब 20 हजार सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल
रणविजय सिंह/शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 19 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:19 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान में हड़ताली डाक्टरों से काम पर नहीं लौटने पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं. साथ ही कहा है कि काम पर लौटे हड़ताली डॉक्टरों को गिरफ्तार नहीं करें. इसके ठीक बाद राज्य सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों को शाम तक काम पर लौटने का निर्देश देते हुए बुधवार से निलंबन करने के आदेश निकाल दिए हैं.

गौरतलब है कि राज्य में करीब 20 हजार सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से हाहाकार मचा हुआ है. मंगलवार को राज्य में चौथे दिन सेवारत सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर रहे. अस्पतालों में इलाज के लिए मरीज भटक रहे हैं.

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निजी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है. राज्यभर से जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से 3 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य सरकार के लिए बुरी खबर ये है कि मंगलवार से बड़े शहरों में अस्पतालों की व्यवस्था संभाल रहे रेजिडेंट डॉक्टर भी हड़ताल पर चले गए हैं. हालांकि कई जगह बीएसएफ, आर्मी और रेलवे ने मोर्चा संभाल रखा है.

राज्यभर के अस्पतालों में हड़ताल की वजह से मरीज इस उम्मीद में जयपुर पहुंच रहे हैं कि शायद यहां सरकार बैठी है तो इलाज हो जाए. लेकिन यहां भी सभी रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं.

अस्पताल के फर्श पर अपने पोते मोनू को लेकर बैठी रोली बाई का कहना है कि उसे टोडाभीम में डॉक्टर नहीं मिला तो यहां पहुंचे हैं, लेकिन यहां भी डॉक्टर नहीं है. महिला का कहना है कि उसके पोते के सीने में दर्द हो रहा है.

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सवाईमान सिंह मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रचार्य य़ूएस अग्रवाल ने बताया कि रेजिडेंट्स की हड़ताल से असर पड़ा है और ऑपरेशन आगे टाले जा रहे हैं. लेकिन, सीनियर डॉक्टरों को हमने लगाकर कुछ हद तक काबू पाया है.

ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी है. इन इलाकों में निजी अस्पतालों जैसी व्यवस्था नहीं है, लिहाजा लोगों को शहर में महंगे इलाज के लिए आना पड़ा है. मरीजों का कहना है कि तीन दिन से लगातार आ रहे हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं आने से कुछ नहीं हो रहा है.

जेठा राम को सांस लेने में दिक्कत है, लेकिन डॉक्टर के साईन की वजह से दवाई नहीं आ पा रही है. सामोद के सरकारी सैटेलाईट अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने की वजह से जयपुर आए शंकर लाल गुर्जर तीन दिन से भटक रहे हैं.  

उधर सरकार ने आर्मी, बीएसएफ और रेलवे से मदद मांगी है. राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने आर्मी, बीएसएफ और रेलवे को चिट्ठी लिखी है कि राज्य में स्वास्थ्य की आपातकालीन समस्या की वजह से सेवा की जरूरत है. जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर और जयपुर जैसे इलाकों में इन लोगों ने अस्पताल में मोर्चा संभाल रखा है.

डॉक्टरों की मांग है कि डॉक्टर नेताओं के ट्रांसफर रोक दिए जाएं. साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की जगह डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए. इनके वेतनमान की समीक्षा हो और कार्य के घंटे कम किए जाएं.

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राज्य सरकार ने सख्ती दिखाते हुए अब तक करीब 70 डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है. दरअसल यह पूरा मामला नवंबर से बढ़ गया. जब हड़ताल कर रहे डॉक्टर नेताओं का सरकार ने ट्रांसफर कर दिया. 12 डॉक्टर नेताओं के ट्रांसफर के बाद डॉक्टरों ने 18 दिसंबर से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया.

इस बीच सरकार ने राजस्थान अत्यावश्यक सेवाएं अनुरक्षण अधिनियम (रेसमा) लागू कर दिया और डॉक्टरों की गिरफ्तार शुरू कर दी. इस से नाराज होकर डॉक्टर 16 दिसंबर को हड़ताल पर चले गए. हड़ताल की वजह से ऑपरेशन से लेकर सभी तरह की जांचे भी रुक गईं है.

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