
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया में उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर दिखाए जाने का आरोप लगाया है. कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में जवाब देते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि एक भी बच्चे की मौत होती है तो उन्हें दुख होता है मगर पिछले कई साल से अस्पताल में तीन चार बच्चों की मौत हो रही है. उन्होंने कहा था कि पिछले 6 साल में इस बार सबसे कम मौत हुई है. बीजेपी शासन के दौरान 1 साल में 1600 से ज्यादा बच्चों की मौतें होती थीं, जिसे हम कम करके 900 के आंकड़े पर ले आए हैं.
गहलोत ने बयान जारी कर कहा है, कुछ लोगों की ओर से जान-बूझ कर मीडिया में जो चलाया जा रहा है, वह निंदनीय है. जबकि 'निरोगी राजस्थान' को लेकर हमारी सरकार ने प्रदेश में स्कीम शुरू की है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान सिरमौर बने उसके लिए हम लगे हुए हैं. गहलोत ने कहा, 'निरोगी राजस्थान' हमारा ध्येय है, पूरा फोकस इसी पर है. हमने दवाइयां फ्री की हुई हैं, जांच फ्री है जो देश में कहीं नहीं है. राजस्थान देश का एकमात्र राज्य है जहां आउटडोर पेशेंट्स को भी दवाई फ्री मिल रही है. आयुष्मान भारत स्कीम भी सिर्फ भर्ती होकर इलाज करने वाले पेशेंट्स के लिए है. हमने सरकार में आते ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो कदम उठाए, उससे इस वर्ष पिछले 5 वर्षों में ये आंकड़े कम हुए हैं. आगे प्रयास है कि आईएमआर और एमएमआर कम हो, इसके लिए हम संकल्पित हैं.
राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से आंकड़े जारी किए गए हैं जिसमें कहा गया है कि कोटा में मौत की दर राजस्थान में सबसे कम है. अस्पताल प्रशासन से पिछले साल हुई मौत के आंकड़े लिए गए. उसके मुताबिक 2014 में 15719 बच्चे भर्ती हुए थे जिसमें 1198 बच्चों की मौत हुई. 2015 में 17579 बच्चों में 1260 बच्चों की मौत हुई थी. पिछले साल 2018 में 16436 बच्चे भर्ती हुए थे जिसमें 1005 बच्चों की मौत हुई. इस वर्ष 2019 में 16892 बच्चे भर्ती हुए हैं, इनमें से 940 बच्चों की मौत हो चुकी है.
क्या कहा अशोक गहलोत ने
मुख्यमंत्री दफ्तर ने अशोक गहलोत से पूछे गए सवाल और उसके जवाब का शब्दशः बयान भी जारी किया है. मुख्यमंत्री के बयान में कहा गया है, 6 साल में सबसे कम जान इस साल गई है. एक भी मौत होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होता है. इस साल करीब 900 मौतें हुई हैं. पहले 1500 और 1300 मौतें भी हुई हैं. पूरे देश में, पूरे प्रदेश में हर अस्पताल में तीन, चार, पांच, सात मौतें होती हैं. प्रतिदिन होती है, कोई नई बात नहीं है, जयपुर में भी होती है. मैंने पूरी तरह वहां जांच करवाई है, एक्शन भी हम कर रहे हैं. ऑपरेशन थियेटर को हमने पहली बार लंबे अरसे के बाद अपग्रेडेशन का काम किया. बच्चों की मृत्यु दर कैसे कम हो, इस पर हम ध्यान दे रहे हैं. आईएमआर, एमएमआर सबके आंकड़े कम हुए हैं. न कोई मां मरे और न कोई बच्चा मरे, यही हमारी सोच है.