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फंडिंग पर सवाल, कॉरपोरेट से लिंक, पायलट पर गहलोत ने चल दिया नया दांव

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और राजनीतिक दांव-पेंच में उलझा दिया है. गहलोत ने पायलट को बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने के आरोप में खलनायक के तौर पर पेश करने के बाद अब उनकी फंडिग पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इतना ही नहीं कॉरपोरेट के साथ लिंक जोड़कर नया सियासी दांव चला है.

सचिन पायलट और अशोक गहलोत (फाइल फोटो) सचिन पायलट और अशोक गहलोत (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 20 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 4:19 PM IST

  • गहलोत ने सचिन पायलट को विक्टिम से विलेन बनाया
  • पायलट बगावत के बाद भी गहलोत को मात नहीं दे सके

राजस्थान के सियासी संग्राम में सचिन पायलट शुरू से ही खुद को पीड़ित के तौर पर पेश करते आ रहे थे. वहीं, सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और राजनीतिक दांव-पेंच में उलझा दिया है. गहलोत ने पायलट को बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने के आरोप में खलनायक के तौर पर पेश करने के बाद अब उनकी फंडिग पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इतना ही नहीं कॉरपोरेट के साथ लिंक जोड़कर नया सियासी दांव चला है.

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अशोक गहलोत ने सोमवार को सचिन पायलट पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस का अध्यक्ष बनना चाहते थे, बड़े-बड़े कॉरपोरेट उनकी फंडिंग कर रहे हैं. बीजेपी की ओर से फंडिंग की जा रही है, लेकिन हमने सारी साजिश फेल कर दी. गहलोत ने दावा किया कि आज सचिन पायलट के समर्थन में जितने वकील केस लड़ रहे हैं, सभी महंगी फीस वाले हैं तो उनका पैसा कहां से आ रहा है. क्या सचिन पायलट इन सभी वकीलों को पैसा दे रहे हैं?

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अशोक गहलोत ने कहा कि पायलट साहब गाड़ी चलाकर खुद दिल्ली जाते थे, छुपकर जाते थे. हमने सचिन पायलट की साजिश का पर्दाफाश किया, बीजेपी इसके पीछे खेल रही है. गहलोत ने कहा कि हमने कभी सचिन पायलट पर सवाल नहीं किया, सात साल के अंदर एक राजस्थान ही ऐसा राज्य है जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने की मांग नहीं की गई. हम जानते थे कि वो निकम्मे और नाकारा थे, लेकिन मैं यहां बैंगन बेचने नहीं आया हूं बल्कि मुख्यमंत्री बनकर आया हूं. हम नहीं चाहते हैं कि उनके खिलाफ कोई कुछ बोले इसीलिए सभी ने उनको सम्मान दिया है.

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सचिन पायलट ने अपने समर्थकों के साथ मिल कर सत्ता को पलटने की कोशिश की तो गहलोत पूरी तरह तैयार थे. उन्होंने बहुमत के आंकड़े की संख्या, लड़ाई का साजो सामन और उपकरण सब तैयार कर लिए थे. गहलोत एक के बाद एक सियासी दांव चलते जा रहे हैं. गहलोत ने पायलट के बगावत के बाद सबसे पहले अपनी सरकार को सेफ किया. इसके लिए उन्होंने 102 विधायकों के समर्थन का आंकड़ा जुटाया और फिर पायलट पर एक्शन का दांव चला.

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कांग्रेस ने सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया. इसके बाद अब पायलट अपनी सदस्यता को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वहीं, गहलोत ने ऐसा सियासी जाल बिछाया कि गांधी परिवार के बीच भी पायलट की छवि धूमिल हुई है. इतना ही नहीं अब सीएम गहलोत ने ऐसा सियासी दांव चला है कि उनके लिए एक-एक कर सारे सियासी दरवाजे भी बंद होते जा रहे हैं. पायलट अब न तो वापस कांग्रेस में आ पा रहे हैं और न ही बीजेपी उनकी एंट्री के लिए रेड कारपेट बिछा रही है.

राजस्थान की राजनीतिक शह-मात के खेल में सचिन पायलट को ही राजनीतिक नुकसान होता नजर आ रहा है. पायलट कांग्रेस में नंबर दो की हैसियत रखते थे, लेकिन गहलोत ने उनकी छवि को पूरी तरह से धूमिल कर दिया है. गहलोत ने अपने सियासी दांव से पायलट को विक्टिम से विलेन बना दिया है. 2018 में कांग्रेस के जीत के हीरो पायलट बने थे, लेकिन गहलोत के खिलाफ बगावत करना उन्हें मंहगा पड़ गया है.

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राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा कहते हैं कि राज्य में एक अच्छी खासी चलती सरकार को अस्थिर करने का आरोप भी सचिन पायलट पर लग रहा है. गहलोत ने जिस तरह से आक्रमक रुख अपनाया है, उससे साफ है कि अब कांग्रेस में उनकी एंट्री के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं. कांग्रेस के ज्यादातर विधायक अभी भी गहलोत के साथ हैं, इसीलिए कांग्रेस नेतृत्व ने पायलट से ज्यादा गहलोत को अहमियत दी है. इसीलिए गहलोत ने अब पायलट की राजनीतिक छवि को पूरी तरह से धूमिल करने की रणनीति बनायी है.

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