
राजस्थान कांग्रेस में जारी कलह अब तक खत्म नहीं हुई है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे में जारी कलह को खत्म करने के लिए पार्टी ने मंत्रिमंडल में फेरबदल करने का फैसला किया है, जिससे दोनों दलों के लोग संतुष्ट हो सकें. कई राउंड जयपुर में चली बैठकों के बाद राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने साफ कर दिया है कि अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में शामिल कई मंत्री संगठन में काम करने जाएंगे.
दरअसल राज्य में मंत्रिमंडल में फेरबदल से पहले दो दिनों की रायशुमारी के बाद प्रदेश के प्रभारी अजय माकन ने प्रदेश कांग्रेस के दफ्तर में जयपुर में ऐलान कर दिया था कि बहुत सारे मंत्री संगठन में काम करने जाएंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों के बारे में चर्चा करते हुए अजय माकन ने कहा कि कई मंत्री मेरे पास आए और उन्होंने कहा है कि हम सरकार में नहीं, संगठन में काम करना चाहते हैं.
अजय माकन ने कहा कि इन मंत्रियों ने मेरा उदाहरण दिया कि जब मनमोहन सिंह सरकार से आपने इस्तीफा दिया था, तो आप संगठन की राजनीति में आ गए थे. ऐसे में इस जोश को देखते हुए लगता है कि 2023 में हम राजस्थान जीत लेंगे. दिल्ली में आलाकमान को अपनी रिपोर्ट दिए जाने को लेकर अजय माकन ने आजतक से बातचीत की. उन्होंने कहा कि मैं ही दिल्ली में ही हूं. मैंने रिपोर्ट ले ली है.
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118 विधायकों से लिया गया है फीडबैक
गौरतलब है कि अजय माकन ने सरकार को समर्थन देने वाले 118 विधायकों से फीडबैक लिया है. फीडबैक लेने के दौरान वह अकेले बैठे हुए थे. विधायकों के जवाब को लैपटॉप में टाइप करने के लिए वह एक स्टेनोग्राफर भी दिल्ली से लेकर आए थे. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान गहलोत और पायलट से बिलकुल निष्पक्ष फीडबैक चाहता था.
गहलोत तय करेंगे कौन बनेगा मंत्री
अजय माकन के बयान के बाद यह चर्चा होने लगी है कि कौन-कौन से मंत्री ड्रॉप हो सकते हैं. स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा था कि अजय माकन की रायशुमारी से मंत्री तय नहीं होंगे. कांग्रेस आलाकमान और अशोक गहलोत ही नए मंत्रिमंडल को तय करेंगे. परिवार मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा था कि वह सड़क पर रहने वाले आदमी हैं, मंत्रिपद की परवाह नहीं करते हैं.
क्या तैयार हो गया है सुलह का रास्ता?
वहीं राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा था कि वह संगठन में काम करना चाहते हैं. जिस तरह से अजय माकन के एक के बाद एक दौरे राजस्थान में हुए हैं, उसे देखकर माना जा रहा है कि पार्टी मंत्रिमंडल के बंटवारे के बाद एक समाधान पर पहुंच जाएगी, जिससे अशोक गहलोत और सचिन पायलट दल के बीच एक सुलह का रास्ता निकल सके.