
राजस्थान कांग्रेस की नई कार्यकारिणी की लंबे इंतजार के बाद बुधवार को घोषणा कर दी गई. सचिन पायलट के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से पूरे राजस्थान में कांग्रेस की कार्यकारिणी भंग थी और पार्टी की कमान गोविंद सिंह डोटासरा को सौंपी गई थी. कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में 7 उपाध्यक्ष, 8 महासचिव और 24 सचिव बनाए गए हैं. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के जरिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच शक्ति संतुलन बनाने के साथ ही जातिगत संतुलन को भी ध्यान में रखा है. यही वजह है कि दोनों खेमे के लोगों को खास तवज्जो दी गई है.
बता दें कि पिछले साल जुलाई में सचिन पायलट ने अपने डेढ़ दर्जन समर्थक विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बागी रुख अपना लिया था. इसके चलते 14 जुलाई को कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को बर्खास्त कर दिया था और सारी कमेटी को भंग कर दिया गया था. इसके बाद प्रदेश की कमान गोविंद सिंह डोटासरा को सौंपी गई थी. गांधी परिवार के के हस्ताक्षेप के बाद सचिन पायलट माने, जिसके बाद राजस्थान का सियासी संकट टला था. ऐसे में सवाल उठ रहा था कि प्रदेश संगठन में सचिन पायलट के कैंप को कितनी अहमियत दी जाएगी.
पायलट गुट को संगठन में तवज्जो
कांग्रेस की बुधवार को आई लिस्ट देखें तो सचिन पायलट कैंप के नजदीकियों को प्रदेश संगठन में अच्छी खासी जगह मिली है. प्रदेश के आठ महासचिव में से तीन महासिचव वेदप्रकाश सोलंकी, राकेश पारीक और जीआर खटाणा पायलट के नजदीकी माने जाते हैं. वे बगावत के दौरान सचिन पायलट के साथ हरियाणा के मानेसर में मौजूद रहे थे. इसी तरह, सचिन पायलट गुट के पूर्व चिकित्सा राज्य मंत्री राजेंद्र चौधरी व पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर को उपाध्यक्ष तथा प्रशांत सहदेव शर्मा, शोभा सोलंकी और महेंद्र सिंह खेड़ी को सचिव बनाया गया है.
कांग्रेस कार्यकारिणी की घोषणा के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने ट्वीट कर सभी पदाधिकारियों को बधाई दी है. हालांकि, पायलट की टीम में कांग्रेस के विधायक विश्वेंद्र सिंह, पूर्व सांसद गोपाल सिंह ईडवा और पूर्व मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल को जगह नहीं मिल सकी है. विश्वेंद्र सिंह को गहलोत ने बगावत के चलते मंत्री पद से भी बर्खास्त कर दिया था.
गहलोत का संगठन पर दबदबा
प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की टीम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही अपने बेटे वैभव गहलोत को जगह न दिला सके हों, लेकिन अपना दबदबा पूरी तरह से कायम रखा है. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष में गोविद राम मेघवाल, हरीमोहन शर्मा, डॉ. जितेंद्र सिंह, महेंद्रजीत सिंह मालवीय और रामलाल जाट को शामिल किया गया है, जो गहलोत के करीबी माने जाते हैं. वहीं, महासचिव में हाकिम अली, लखन मीणा, मांगीलाल गरासिया और रिटा चौधरी मुख्यमंत्री खेमे के माने जाते हैं. पीसीसी में 5 महिला पदाधिकारियों को भी तवज्जो दी गई है.
संगठन में जातीय समीकरण
कांग्रेस प्रदेश संगठन की कार्यकारिणी के जरिए पार्टी ने जातीय समीकरण साधने की कवायद की है. इसमें 6 जाट, 5 दलित, 5 ब्राह्मण, 4 गुर्जर, 3 यादव, 3 आदिवासी, 3 मुस्लिम, 2 मीणा, राजपूत-सीरवी-माली समुदाय से एक-एक प्रतिनिधि को जगह मिली है. वहीं, खाती समुदाय से 1, पटेल और कुमावत को 2-2 जगह मिली है. हालांकि, महाजन, सिंधी, पंजाबी और जैन से किसी को कांग्रेस संगठन में जगह नहीं मिल सकी है. वहीं, राजपूत समुदाय से एक शख्स को जगह मिली है, जो महेंद्र सिंह खेड़ी हैं.
विधायकों को संगठन में तवज्जो
राजस्थान कांग्रेस कार्यकारिणी में 11 विधायकों को भी जगह दी गई है. इनमें से 4 को उपाध्यक्ष बनाया गया है जबकि सात विधायकों को महासचिव की जिम्मेदारी दी गई है. इसमें सचिन पायलट के करीबी तीन विधायकों को संगठन में जगह दी गई है, जिनका सत्ता की भागीदारी से अब पत्ता कट गया है. माना जा रहा है कि एक व्यक्ति एक पद के फॉर्मूले के चलते संगठन में जिन नेताओं को जगह मिली हैं, उन्हें राजनीतिक नियुक्तियों में जगह नहीं मिल सकेगी.