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राम मंदिर पर जल्द फैसले की उम्मीद में शुरू हुआ पत्थर तराशने का काम

सुप्रीम कोर्ट से जल्द फैसला आने की उम्मीद से यहां पर कारीगरों ने वापस काम करना शुरू कर दिया है. अयोध्या के पत्थरों की जिम्मेदारी यहां के विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेता संभालते हैं. गुजरात से आने वाले आर्किटेक्ट इंजीनियर के अलावा विश्व हिंदू परिषद के नेता यहां पर आकर पत्थरों का ऑर्डर देते हैं.

राम मंदिर के लिए पत्थर राम मंदिर के लिए पत्थर
शरत कुमार
  • भरतपुर,
  • 28 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:48 PM IST

  • 30 साल पहले हुआ था मंदिर के लिए पत्थरों का चुनाव
  • राजस्थान के बयाना के पहाड़ी के पत्थर हो रहे तैयार

अयोध्या में राम मंदिर पर जल्दी फैसला आने वाला है इसे देखते हुए भव्य राम मंदिर बनाने की तैयारी भी जोरों पर हैं. अयोध्या का राम मंदिर राजस्थान के बयाना के पहाड़ी के पत्थरों से तैयार किया जा रहा है. 30 सालों से यहां पर काम चल रहा है मगर अब राम मंदिर बनने की उम्मीद लोगों में जगी है तो यहां पर तैयारियां भी तेज हो गईं हैं.

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भरतपुर के बंसीपुर की पहाड़ियों के पत्थरों से अयोध्या में राम मंदिर बनाया जाएगा. यहां के खानों में सफेद और लाल रंग के पत्थर निकलते हैं जिस को तराश कर राम मंदिर का रूप दिया गया है. करीब 30 साल पहले विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल और आचार्य गिरिराज किशोर ने यहां पर आकर पत्थरों का चुनाव किया था. तब से यहां के आसपास की खानों में खुदाई कर पत्थर निकाले जा रहे हैं.

क्या है इन पत्थरों की खासियत

इस इलाके के पत्थरों के बारे में कहा जाता है कि 1000 साल से ज्यादा समय तक इसमें कुछ नहीं होता है. गुजरात से आए राम मंदिर के आर्किटेक्ट और इंजीनियरों ने यहां के माइंस में कई दिनों तक पत्थरों पर रिसर्च करके इसे चुना है.

राम मंदिर के लिए जिस साइज का खंभा पिलर या कंगूरे राम मंदिर के लिए बनने हैं उसी साइज का ब्लॉक यहां से काटकर तराशा गया है इसके लिए सिरोही जिले के पिंडवाड़ा और बयाना के कई इलाकों में कार्यशाला बनाई गईं हैं. जहां पर मजदूर काम करते हैं. पिछले कुछ दिनों से यहां पर काम बिल्कुल बंद हो गया था. लोगों ने राम मंदिर बनने की उम्मीद छोड़ दी थी.

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कारीगरों ने किया काम शुरु

मगर सुप्रीम कोर्ट के जल्दी फैसला आने की उम्मीद से यहां पर वापस कारीगरों ने काम करना शुरू कर दिया है. अयोध्या के पत्थरों की जिम्मेदारी यहां के विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेता संभालते हैं. गुजरात से आने वाले आर्किटेक्ट इंजीनियर के अलावा विश्व हिंदू परिषद के नेता यहां पर आकर पत्थरों का आर्डर देते हैं. यही नहीं नक्शे में बदलाव को लेकर भी कारीगरों से और ठेकेदारों से बातचीत करते हैं.

विश्व हिंदू परिषद के भरतपुर के जिला अध्यक्ष मधुसूदन शर्मा बताते हैं कि 30 साल पहले हमारे वीएचपी के नेता अशोक सिंघल और गिरिराज किशोर ने आकर पत्थर पसंद किए थे उसके बाद अब तक हम वीएचपी के नेता यहां आकर ऑर्डर देकर जाते हैं. अभी पिछले साल ही हमने आर्डर दिए थे. हमें गर्व महसूस होता है कि हमारे यहां का पत्थर से राम मंदिर बन रहा है.

अयोध्या पहुंचेगा हजारों टन का पत्थर

बताया जा रहा है कि हजारों टन का पत्थर अब तक यहां से निकालकर अयोध्या पहुंचाया जा गया है. राम मंदिर के लिए जितना पत्थर चाहिए वह सब के सब वहां पर इकट्ठा कर दिया गया है. इसके अलावा वहां मंदिर परिषद के दूसरे सभी निर्माण के लिए तैयारियां जोरों पर हैं. अयोध्या के राम मंदिर में दो तल बनाया गया है.

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पहले तल पर रामलला विराजमान होंगे तो दूसरे तल पर सभागार होगा इन दोनों दलों के लिए पत्थर यहीं पर तराशा गया है. इसके अलावा जितने भी दरवाजे होंगे और जो फर्ज होंगे वह राजस्थान के अजमेर जिले के सफेद मकराना पत्थर से तैयार किए गए हैं मकराना के सफेद पत्थर पहले ही तराश कर अयोध्या पहुंचाए जा चुके हैं.

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