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हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ राजस्थान सरकार ने सख्ती दिखाते हुए आदेश जारी किया है कि उन्हें काम नहीं तो वेतन नहीं दिया जाएगा. राज्य में पिछले 20 दिनों से 122 विभागों के एक लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर हैं.
सरकार के कार्मिक विभाग से जारी आदेश में कहा गया है कि राजस्थान सरकार के जो भी कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर हैं उनको अनुपस्थित माना जाएगा और उनके काम पर नहीं आने को एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी लीव मानकर वेतन काटा जाएगा.
पिछले 20 दिनों से मंत्रालायिक कर्मचारियों के अलावा पंचायती राज, रोडवेज, हाउसिंग बोर्ड, पटवारी, इंजीनियर्स की हड़ताल की वजह से तमाम व्यवस्थाएं बेपटरी हो गई हैं और जनता को काफी परेशानियां पेश आ रही हैं.
गौरतलब है कि राज्य में चुनावों के मद्देनजर एक सप्ताह में कभी भी आचार संहिता लागू हो सकती है. ऐसे में कर्मचारियों को लगता है कि यही मौका है जब सरकार पर दबाव डालकर अपनी बात मनवाई जा सकती है और सरकार वोटों के खातिर उनकी मांगे मान सकती है.
कर्मचारियों के हड़ताल पर होने की वजह से प्रदेश में हालात ये है कि लोगों के वेतन तक नहीं बन रहे हैं, जरूरी बिल का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है.
वहीं, पंचायत राज कर्मियों को छुट्टी से गांव के कामकाज नही हो पा रहे हैं. उधर सरकार का कहना है कि कर्मचारियों की मांगें मानी गई तो सरकार पर 20 हजार करोड़ का भार पड़ेगा.
अगर इन हालात में इन विभागों में सातवें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू की गई तो दूसरे विभागों के कर्मचारी भी इसके लाभ की मांग करेंगे.
वहीं, आज अजमेर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली में रोडवेज की हड़ताल की वजह से निजी बसों का इंतजाम किया गया है. साथ ही सरकार को डर है कि उनकी सभा में हड़ताली कर्मचारी कोई हंगामा न कर दें.