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साल में 300 दिन सोता है ये शख्स, नींद में ही खाना खिलाते हैं परिजन

पुरखाराम एक अजीब बीमारी से ग्रसित हैं. वे अपने ज्यादातर नित्य क्रिया के काम नींद में ही करते हैं. वे कई बार साल में 300 दिन तक सोते हैं.

300 दिन सोता है राजस्थान का ये शख्स 300 दिन सोता है राजस्थान का ये शख्स
aajtak.in
  • नागौर,
  • 15 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 9:56 PM IST
  • साल में 300 दिन सोता, नींद में ही खाना-पीना
  • डॉक्टर ने बताया बीमारी का इलाज

राजस्थान के नागौर में इन दिनों एक शख्स चर्चा का विषय बना हुआ है जो साल में 300 दिन सोता है, बाकी समय अपना छोटा मोटा काम कर गुजारा करता है. ये कोई सामान्य बात नहीं है. इस व्यक्ति को एक खास तरह की बीमारी है जिसकी वजह से उसकी ये हालत है 

42 साल के पुरखाराम एक अजीब बीमारी से ग्रसित हैं. वे अपने ज्यादातर नित्य क्रिया के काम नींद में ही करते हैं. वे कई बार साल में 300 दिन तक सोते हैं. उनका खाने से लेकर नहाना, सब कुछ नींद में ही होता है. सुनने में अजीब लगता है, लेकिन जिले के भादवा गांव के रहने वाले पुरखाराम की ऐसी ही जिंदगी है. पुरखाराम की गांव में ही रानाबाई किराणा स्टोर के नाम से दुकान है. 2015 से उनकी ये बीमारी ज्यादा बढ़ गई और वे एक दिन में 18-18 घंटे भी सोने लगे. कई बार उनकी दुकान के बाहर कितने अखबार पड़े हैं, इससे अंदाजा लगाया जाता है कि वे कितने दिन सो लिए हैं.

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300 दिन सोने वाला शख्स

पुरखाराम के सोने के बाद उन्हें उठाना नामुमकिन हो जाता है. उन्हें नींद में ही परिजन खाना खिलाते हैं. जब बाथरूम जाना होता है तो नींद में ही पुरखाराम बेचैन हो जाते हैं और उन्हें उठाकर परिजन बाथरूम ले जाते हैं. अभी तक पुरखाराम की नींद का कोई इलाज नहीं मिला है, लेकिन उनकी माता कंवरी देवी और पत्नी लिछमी देवी को उम्मीद है कि जल्द ही वे ठीक हो जाएंगे और पहले की तरह अपनी जिंदगी जिएंगे. पुरखाराम को एक्सिस हायपरसोम्निया नाम की बीमारी है. घर वालों ने बताया कि एक बार सोने के बाद वे 25 दिनों तक नहीं जागते हैं. इसकी शुरुआत 23 साल पहले हुई थी. शुरुआती दौर में 5 से 7 दिनों के लिए सोते थे, लेकिन अब लंबा सोने लगे.

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डॉक्टर ने क्या बताया है?

जब इस बारे में फिजिशयन डाक्टर बी आर जांगीड़ से बात की तो उन्होंने बताया कि ये हायपरसोम्निया का केस है. उन्होंने कहा कि ऐसी बीमारी बहुत ही कम लोगों में मिलती है. ये एक साइकोलॉजिकल बीमारी है . बाकी यदि कोई पुराना ट्यूमर, या हेड इंज्यूरी रही हो तो उसमें भी ऐसी बीमारी हो सकती है . ऐसी बीमारी किताबों या मेडिकल साइंस में दिखी है तो वो साइकोलॉजिकल ही देखी गई हैं. इस बीमारी का डाइग्नोसिस कर इलाज संभव है.

मोहम्मद हानिफ की रिपोर्ट


 

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