
भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में दूसरी पारी खेलने के लिए बतौर कैप्टन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम तो घोषित कर दिया है, लेकिन पिच उनके माकूल नजर नहीं आ रही है. फिलहाल, राजे की राह में सबसे बड़ा रोड़ा उनका अपना राजपूत समाज बनता दिखाई दे रहा है. जिसे साधने के लिए भी वह भरपूर कोशिश कर रही हैं. बावजूद इसके राजपूत समाज की नाराजगी अलग-अलग अंदाज में सामने आ रही है.
अब राजपूत समाज से जुड़े कुछ संगठन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रस्तावित 'राजस्थान गौरव यात्रा' के विरोध में भी उतर आए हैं. राज्य के राजपूत आरक्षण मंच ने सीएम की यात्रा के विरोध में पदयात्रा निकालने का ऐलान किया है.
सीएम राजे की 40 दिवसीय 'राजस्थान गौरव यात्रा' चार अगस्त से शुरू हो रही है. राजसमंद से शुरू होने वाली यह यात्रा प्रदेश के सभी संभागों से होकर गुजरेगी और सितंबर महीने में अजमेर में इसका समापन होगा. इस यात्रा से पहले ही 3 अगस्त को ही विरोध में पदयात्रा निकालने की तैयारी है.
यह पदयात्रा मेवाड़ वागड़ क्षत्रिय महासभा समेत तमाम सामाजिक संगठन मिलकर उदयपुर से निकालेंगे. राजपूत समाज की मांग ओबीसी आरक्षण में आरक्षण की है, जिसे लेकर लंबे समय से उनका आंदोलन चल रहा है.
राजपूतों को साधने में जुटीं राजे
राजस्थान में राजपूतों का वर्चस्व रहा है. खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी राजपूत हैं. इस समाज का करीब 6 प्रतिशत वोट है, जो निर्णायक भूमिका में रहता है.
वसुंधरा राजे की यात्रा उदयपुर संभाग से शुरू हो रही है, जो राजपूत प्रभुत्व वाला है. ऐसे में राजपूतों की नाराजगी का सामना न करना पड़े, इससे चलते सीएम ने सोमवार को अपने आवास पर प्रमुख राजपूत नेताओं से मुलाकात की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक में राजे ने राजपूत नेताओं से जिला स्तर पर संपर्क साधने के निर्देश दिए हैं.
बता दें राजे की इस यात्रा पर एक और विवाद पहले ही हो चुका है. बीजेपी छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी की नई पार्टी राजस्थान गौरव के नाम से यात्रा निकालने जा रही है. यही नाम वसुंधरा राजे की यात्रा को दिया गया है, जिसे लेकर तिवाड़ी ने यात्रा का नाम चुराने का आरोप लगाया है.