Advertisement

राजस्थान: तीन सीटों पर उपचुनाव गहलोत सरकार के लिए लिटमस टेस्ट

राजस्थान की तीन सीटों पर उपचुनाव न केवल गहलोत सरकार और कांग्रेस संगठन के लिए साख का सवाल है बल्कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले इन्हें सेमीफाइनल के तौर पर भी देखा जा रहा है.

अशोक गहलोत अशोक गहलोत
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 26 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:31 PM IST
  • राजस्थान की तीन सीटों पर उपचुनाव हो रहे
  • बीजेपी ने उतारे उपचुनाव में अपने कैंडिडेट
  • कांग्रेस ने उपचुनाव में नहीं खोले अपने पत्ते

राजस्थान की तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं जबकि कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. यह उपचुनाव न केवल गहलोत सरकार और कांग्रेस संगठन के लिए साख का सवाल है बल्कि 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले इन्हें सेमीफाइनल के तौर पर भी देखा जा रहा है. ऐसा इसीलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि वसुंधरा राजे के दौर में उपचुनाव में बीजेपी की जो हार शुरू हुई थी, वो फिर 2018 तक नहीं रुकी. यही वजह है कि अशोक गहलोत ने खुद उपचुनाव की कमान अपने हाथों में ले रखी है. ऐसे में देखना है उपचुनाव की सियासी जंग कौन फतह करता है?

Advertisement

बता दें कि राजस्थान की राजसमंद, सहाड़ा और सुजानगढ़ सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं, जिनमें दो सीटें कांग्रेस तो एक सीट बीजेपी के पास रही है. राजसमंद सीट बीजेपी के विधायक किरण माहेश्वरी के निधन से रिक्त हुई है जबकि सहाड़ा सीट से कांग्रेस के विधायक कैलाश त्रिवेदी और सुजानगढ़ सीट से कांग्रेस विधायक मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के चलते उपचुनाव हो रहे हैं. 

बीजेपी ने उतारे अपने प्रत्याशी
प्रदेश में तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. राजसमंद सीट से बीजेपी ने किरण माहेश्वरी को बेटी दीप्ति माहेश्वरी को उतारा. वहीं, सहाड़ा से पूर्व विधायक और बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष डॉ रतनलाल जाट को उतारा है, क्योंकि वो पुराने नेता माने जाते हैं. ऐसे ही सुजानगढ़ से बीजेपी ने पूर्व मंत्री खेमाराम मेघवाल को प्रत्याशी बनाया है. खेमाराम वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे हैं और उनके करीबी माने जाते हैं. 

Advertisement

उपचुनाव में कांग्रेस के साख का सवाल
राजसमंद की विधायक किरण माहेश्वरी की सीट पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने राजसमंद के लिए चुनावी घोषणाओं की झड़ी लगा दी है. राजसंमद सीट पर पिछले दो दशक से कांग्रेस खाता नहीं खोल सकी है जबकि यह सीट बीजेपी की परंपरागत रूप से मानी जाती है. लेकिन, निकाय चुनाव में कांग्रेस ने बोर्ड बनाकर यहां के समीकरण बदल दिया है. 

सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत लगातार राजसमंद का दौरा कर रहे हैं, उसे देखते हुए राजनीतिक हलकों में उनके चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज थी. हालांकि कांग्रेस ने इसे अफवाह करार दिया था. वैभव गहलोत अगर इस सीट से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो यहां पर तनसुख बोहरा दिनेश बाबल,नारायण सिंह भाटी और रमेश राठौड़ जैसे नेता टिकट के दावेदार हैं. 

कांग्रेस किस पर खेलेगी दांव? 
सुजानगढ़ सीट समाज कल्याण मंत्री भंवरलाल मेघवाल की मौत की वजह से खाली हुआ है, जिसे कांग्रेस हर हाल में जीतने की कवायद में है. यहां से उनके बेटे मनोज मेघवाल का टिकट कांग्रेस की तरफ से तय माना जा रहा है, लेकिन अभी तक उनके नाम की घोषणा नहीं हुई है. वहीं, बीजेपी ने पिछले चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके खेमाराम को अपना प्रत्याशी बना दिया है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस किसे मैदान में उतारती है. 

Advertisement

सहाड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विधायक रहे कैलाश त्रिवेदी के भाई राजेंद्र त्रिवेदी और बेटे रणबीर त्रिवेदी ने टिकट की दावेदारी की है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के बेटे हिमांशु जोशी के चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं. हालांकि, पार्टी यहां से किसी जाट नेता को चुनावी मैदान में उतारने की रणनीति पर काम कर रहे है, क्योंकि बीजेपी ने यहां से रतनलाल जाट को उतारकर दांव खेल दिया है.

उपचुनाव में कांग्रेस अगर जीतती है तो यह माना जाएगा कांग्रेस के काम से राज्य की जनता खुश है और अगर पार्टी को राज्य में सीटें नहीं मिलती है तो विपक्ष इसे गहलोत सरकार की नाकामी करार देने वाला है. यही वजह है कि प्रदेश के उपचुनावों की कमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद संभाल रहे हैं. अशोक गहलोत ही तय करेंगे की खाली होने वाली इन विधानसभा सीटों पर किस उम्मीदवार को सीट दी जाए और जीत सुनिश्चित की जाए. पार्टी ने इसके लिए एक कमेटी बनाई है जो इस बात का निर्णय करेगी. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस उपचुनाव में कैसे अपनी दोनों सीटें बचाने में कामयाब रहती है. 


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement