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राम रहीम की सजा का असर आसाराम केस पर, पहली बार कोर्ट में नहीं आया कोई समर्थक

आसाराम इतने उदास और परेशान दिखे कि पहली बार मीडिया के माइक देखकर मुंह मोड़ लिया और बिना कुछ बोले जेल के वैन में जाकर बैठ गए, जबकि  पहले आसाराम देश के हर मुद्दे पर कोर्ट परिसर में अपनी राय जरूर रखते थे.

आसाराम  (फाइल फोटो) आसाराम (फाइल फोटो)
शरत कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 1:10 PM IST

राम रहीम के जेल जाने का असर मंगलवार को जोधपुर कोर्ट में भी दिखा, जब नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोप में बंद आसाराम पेश होने के लिए जेल से आये. जब से आसाराम जेल में बंद हैं, तब से पहली बार ऐसा देखने को मिला कि कोई भी एक समर्थक आसाराम को देखने जोधपुर के कोर्ट में न आया हो.

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यही नहीं, आसाराम इतने उदास और परेशान दिखे कि पहली बार मीडिया के माइक देखकर मुंह मोड़ लिया और बिना कुछ बोले जेल के वैन में जाकर बैठ गए, जबकि  पहले आसाराम देश के हर मुद्दे पर कोर्ट परिसर में अपनी राय जरूर रखते थे. आसाराम के समर्थकों पर काबू करने के लिए परेशान पुलिसवाले भी इस बार राहत की सांस लेते नजर आए.

अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन दुराचार के आरोप में फंसे आसाराम मीडिया के सवालों से बचते नजर आये. आमतौर पर जेल से कोर्ट आते-जाते समय मीडिया के सामने बेबाक बयान देने वाले आसाराम इस बार मौन थे. राम रहीम को दुष्कर्म के मामले में सजा होने के बाद इन सवालों को लेकर मीडिया ने आसाराम का जवाब जानने का प्रयास तो किया, लेकिन आसाराम मौन थे और जल्द से जल्द गाड़ी में बैठकर जाना चाहते थे.         

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एससी-एसटी कोर्ट में मंगलवार को आसाराम पर लगे यौन शोषण के मामले की नियमित सुनवाई हुई. बचाव पक्ष की तरफ से गवाह हरियाणा के पानीपत के सहायक खाद्य एवं पूर्ति अधिकारी समालखा के बयान हुए और जिरह पूरी हो गई. वहीं दूसरे गवाह पुलिस थाना नोवाबाद जम्मू के एएसआई अंग्रेत सिंह का बयान शुरू हुआ, लेकिन समयाभाव के चलते पूरा नहीं हो पाया. आगे की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.

हाईकोर्ट की फटकार का असर भी दिखाई दिया, जिसके चलते कोर्ट परिसर में आसाराम का एक भी समर्थक नजर नही आया. आसाराम के तेवर ढीले दिख रहे थे. मीडिया ने जब घेर लिया तो वह कुछ बोले तो नहीं, लेकिन चेहरे से उनके भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे. दरअसल राम रहीम के मामले के बाद जोधपुर कोर्ट ने कह दिया था कि अगर हालात बिगड़ने का अंदेशा हो और आसाराम के समर्थक नही मान रहे हों तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जेल से ही सुनवाई के विकल्प पर विचार किए जाए.

 

 

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