
पशु अधिकार संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन (FIAPO) ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राजस्थान सरकार से अपील की है कि रणथंभौर में गले में वायर स्नेर (तार के छल्ला) के साथ एक बाघ के देखे जाने के बाद इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाए.
जंगली जानवरों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तार, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अवैध हैं. 4 दिसंबर की शाम को, राजस्थान के रणथंभौर नेशनल पार्क में एक बाघ को उसके गले में तार के छल्ले के साथ कैमरे में कैद किया गया था.
FIAPO के कार्यकारी निदेशक, वर्दा मेहरोत्रा ने कहा, 'सौभाग्य से, वन्यजीव विभाग बचाव के लिए आया और फंदे को हटा दिया. अनुसूची I से IV के तहत इसे 'शिकार' के रूप में माने जाने के बावजूद, जंगली जानवरों को मारने का यह प्रयास अब आम बात बन हो गई है. शिकार के अन्य घातक तरीकों में शामिल हैं लालच पैदा करके बुलाना. इसमें फलों और सब्जियों या पटाखों के साथ करंट वाले बिजली के तारों तथा जहरीले विस्फोटकों का उपयोग शामिल है. और यह हमारे देश के जंगली जानवरों के लिए खतरा हैं.'
संगठन ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और कहा कि केरल तथा गोवा के बाद अब राजस्थान में भी ऐसी ही रिपोर्ट आई.
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FIAPO ने राजस्थान के वन विभाग से रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, आरक्षित वनों और नियमित गश्त के माध्यम से जानवरों के इस तरह से शिकार रोकने के लिए रणथंभौर टाइगर रिजर्व स्नैर ट्रैप्स को हटाने की बात कही है साथ ही मांग की है कि रिजर्व वन क्षेत्र और संरक्षित क्षेत्रों में लगातार पेट्रोलिंग की जाए.
संगठन ने केंद्र सरकार से भी यह कहा है कि केंद्र सभी राज्यों के वन विभागों को मिलकर एक टास्क फोर्स बनाने के लिए निर्देश दे, जिसमें वन अधिकारियों को शामिल किया जाए ताकि वे पेट्रोलिंग कर सकें और स्नैर्स ट्रैप्स से जानवरों को संरक्षित कर सकें. साथ ही संगठन ने स्थानीय समुदायों इस संबंध में जागरूक किए जाने का सुझाव दिया.