
कहने को सरकार ने बाल विवाह के रोकथाम के लिए कई उपाय किए हुए हैं लेकिन वक्त-वक्त पर बाल विवाह से जुड़े कई मामले सामने आते रहे हैं. वहीं अक्षय तृतीया पर भी बाल विवाह के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी जाती रही है.
बाल विवाह एक कुरीति है और अक्षय तृतीया इसका एक बहाना होता है. हालांकि पिछले कुछ सालों में बाल विवाह के मामलों में भारी कमी आई है लेकिन इसके बावजूद अक्षय तृतीया को बड़ी संख्या में बाल विवाह अभी भी होते हैं. इसे देखते हुए राजस्थान सरकार ने 7 मई को परशुराम जयंती की छुट्टी होने के बावजूद सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह फील्ड में रहेंगे और बाल विवाह को रोकने के लिए उस पर नजर रखेंगे.
इसके मद्देनजर राजस्थान के टेंट डीलर और कैटरिंग एसोसिएशन ने एक निर्देश निकाला है कि उनसे जुड़े हुए राजस्थान के सभी 7000 टेंट डीलर, कैटरिंग के व्यवसाय से जुड़े लोग शादी-विवाह में अक्षय तृतीया के दिन अपना सामान तभी उपलब्ध कराएंगे, जब शादी वाले घर के लोग वर-वधू के उम्र का प्रमाण पत्र देंगे. वर वधू के बालिग होने पर ही उन्हें शादी के लिए जरूरी सामान मुहैया कराया जाएगा. राजस्थान टेंट डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि जिंदल ने कहा कि हमने इसको लेकर अपने एसोसिएशन के सभी सदस्यों को पत्र भेजे हैं और इसकी पूरी तरह से पालना की जाएगी.
इसी तरह से राजस्थान में सर्व ब्राह्मण महासभा ने भी अपने संगठन से जुड़े सभी पुजारियों को निर्देश दिए हैं कि वो किसी भी इस तरह की शादी में नहीं जाएं, जहां पर बच्चे और बच्चियां नाबालिगों हों. राजस्थान सरकार ने पहले ही आदेश जारी किया है कि नाबालिग बच्चियों की शादी होने पर उनके माता-पिता के अलावा शादी कराने वाले पुजारी और टेंट कैटरिंग एसोसिएशन से जुड़े लोग भी दोषी होंगे. राजस्थान सर्व ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष सुरेश मिश्रा ने कहा कि हमने अपने संगठन के सभी लोगों को कहा है कि बाल विवाह से दूर रहना है और ऐसे होने वाले बाल विवाह को रोकना भी है.