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जन्मदिन पर ही शहीद को दी गई अंत्येष्ठी, 5 साल के बेटे ने कहा- आतंकियों से लूंगा बदला

आंखों में आंसुओं का सैलाब लिए मासूम की आंखें यही पूछती रहीं कि आखिर उसके पिता का कसूर क्या था. शहीद निम्ब सिंह रावत का परिवार सदमे में है.

शहीद की अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़ शहीद की अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़
गोपी घांघर
  • राजवा,
  • 21 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:23 AM IST

उरी आतंकी हमले में शहीद हवलदार निम्ब सिंह रावत को उनके जन्मदिन के दिन ही अंत्येष्ठी दी गई. मंगलवार को गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उनके पांच साल के बेटे ने उन्हें मुखाग्नी दी. शहीद की अंतिम यात्रा में नम आंखों के साथ बड़ी संख्या में लोग पहुंचे तो मासूम बेटे ने मुखाग्नि देने के बाद कहा कि वह उसके पापा को मारने वालो से बदला लेगा.

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आंखों में आंसुओं का सैलाब लिए मासूम की आंखें यही पूछती रहीं कि आखिर उसके पिता का कसूर क्या था. शहीद निम्ब सिंह रावत का परिवार सदमे में है. घर के मुखि‍या और आय का इकलौता जरिया थे निम्ब सिंह रावत. शहीद को उनके गांव राजवा में मुखाग्नि दी गई. पांच साल के बेटे चंदन सिंह रावत को यह नहीं मालूम कि ये सब क्या हो रहा है, लेकिन इतना जरूर पता है कि उसके पापा अब कभी वापस नहीं आएंगे. चंदन को पता है कि आतंकियों ने उसके पापा को मार दिया है और वह सिर्फ इतना जानता है कि वह आतंकियों को मारेगा.

अपने पीछे चार बेटी और एक बेटा छोड़ गए रावत
कश्मीर के उरी स्थित सेना मुख्यालय पर रविवार तड़के आतंकियों ने हमला किया था. इस दौरान दहशतगर्दों से लोहा लेते हुए सेना के 18 जवान शहीद हो गए, जिनमें 40 साल के हवलदार निम्ब सिंह (40) भी थे. शहीद रावत अपने पीछे पत्नी रोडी देवी के साथ चार बेटियां पायल, दीपा, लता, आशा और एक बेटा चंदन सिंह को छोड़ गए हैं. हवलदार के शहादत की खबर जैसे ही उनके गांव राजवा पहुंची, शोक की लहर दौड़ गई.

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'पिता की तरह रखूंगी स‍बका खयाल'
शहीद रावत की बड़ी बेटी पायल अभी 15 साल की है, लेकिन पिता की मौत ने उसे उम्र से बड़ा बना दिया है. वह कहती है, 'मेरे भाई-बहन मुझसे छोटे हैं. मैं उनका वैसे ही खयाल रखूंगी, जैसे मेरे पिता रखते थे. मैं उनकी हर इच्छा पूरी करूंगी.

राजस्थान के मगरा क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग सेना में भर्ती हैं. निम्ब सिंह रावत की शहादत के बाद जहां स्थानीय लोगों के दिलों में गम है, वहीं आंखों में पाकिस्तान के ख‍िलाफ गुस्से का समंदर भी.

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