
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक पिछड़े आधार पर दिए 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका को निरस्त कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है. सामान्य वर्ग के लोगों 10 फीसदी आर्थिक आधार पर दिए आरक्षण की अधिसूचना पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. इससे सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में 10% आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस अभिसूचना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसके जरिए सभी राज्य सरकारों को नई व्यवस्था (10 फीसदी आर्थिक आधार पर आरक्षण) के तहत 1 फरवरी से नौकरियों की अधिसूचना और विज्ञापन जारी कर बहाली सुनिश्चित करने को कहा गया था.
हालांकि पहले कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को 10% आरक्षण की व्यवस्था पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इस संबंध में एक याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए मामले को 28 मार्च तक के लिए टाल दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने 50% की सीमा को संविधान के मूल संरचना का हिस्सा बताया था. इस मामले की सुनवाई संवैधानिक बेंच के सामने करने की मांग की थी. जिसके बाद जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता व जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा था कि वह मुद्दे को बड़ी पीठ को भेजने पर विचार करेगी.
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने इसी साल (2019) 7 जनवरी को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य श्रेणी के लोगों को 10% आरक्षण देने का फैसला लिया था.