
लोकपाल गठन के 11 महीने बाद सरकार ने शिकायत दर्ज करने का प्रारूप जारी कर दिया है. कार्मिक मंत्रालय के आदेश में इसकी जानकारी दी गई है. लोकपाल का गठन प्रधानमंत्री समेत सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराने को लेकर किया गया था. भ्रष्टाचार की शिकायों के लिए हलफनामे के साथ गैर ज्यूडीशियल स्टांप पेपर भी देना होगा. साथ ही प्रारूप के मुताबिक जानकारी देनी होगी.
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सरकार ने लोकपाल के गठन के 11 महीने बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का प्रारूप जारी कर दिया है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कार्मिक मंत्रालय ने एक आदेश में प्रारूप की जानकारी दी है. इस जानकारी के मुताबिक भ्रष्टाचार की शिकायत करने के लिए हलफनामे के साथ गैर ज्यूडीशियल स्टांप पेपर देना होगा. इसमें यह भी कहा गया है कि गलत या फसाने वाली शिकायत देना दंडनीय अपराध है.
गलत नीयत से शिकायत करने पर हो सकती है जेल
भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले अगर सरकारी कर्मचारी को फसाने की नीयत से शिकायत करते हैं और यह साबित होता है तो उसे सजा का प्रावधान है. ऐसे में उसे एक साल की जेल भी हो सकती है. साथ ही एक लाख रुपये तक जुर्माना भी हो सकता है. शिकायत अंग्रेजी में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी दर्ज कराई जा सकती है. इसके अलावा पोस्ट के जरिए और खुद जाकर भी शिकायत दी जा सकती है. अगर शिकायत इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से की गई हो तो 15 दिनों के अंदर इसकी हार्ड कॉपी लोकपाल के पास जमा करानी होगी.
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22 भाषाओं में दर्ज करा सकते हैं शिकायत
प्रधानमंत्री समेत सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की जा सकती है. लोकपाल के पास 22 भाषाओं में शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है. इनमें हिन्दी, गुजराती, असमिया, मराठी और अंग्रेजी शामिल है. शिकायत करने वालों को शिकायत के साथ-साथ अपना आइडेंटिटी प्रूफ भी देना होगा. प्रारूप के मुताबिक अगर कोई आर्गेनाइजेशन, कॉर्पोरेशन, कंपनी या ट्रस्ट शिकायत करती है तो उसे अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी शिकायत के साथ देना होगा. लोकपाल को 30 दिनों के अंदर मामले को सुलझाना होगा.
पिनाकी चन्द्र घोष हैं लोकपाल
लोकपाल को शिकायत करने वाले और जिसके खिलाफ शिकायत की गई है, दोनों की पहचान तबतक छुपानी होगी जबतक जांच पूरी नहीं हो जाती है. अगर शिकायत करने वाला अपनी पहचान उजागर करता है तो इसकी जिम्मेदारी लोकपाल की नहीं होगी. लोकपाल से प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सांसद और अधिकारियों के खिलाफ भी शिकायत की जा सकती है.
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 23 मार्च 2019 को पिनाकी चन्द्र घोष को लोकपाल के रूप में शपथ दिलाई थी. 30 सितंबर 2019 तक लोकपाल के पास 1065 शिकायत आई थी. इनमें से 1000 शिकायतों का निपटारा हो चुका है.