
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को नहीं पता कि समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएसएसआर के कॉलेजियम में दिवंगत विद्वानों को क्यों और कैसे शामिल किया गया. यूपीए सरकार में शामिल किए गए इन दिवंगत विद्वानों के नाम हटाकर दूसरे विद्वानों को शामिल क्यों नहीं किया गया. इस पर भी मंत्री जी ने परिषद की स्वायत्तता की आड़ में किनारा कर लिया.
2014 में परिषद के एमओए में किेए गए संशोधन के बाद नई परिषद और नए कॉलेजियम का गठन होना था, लेकिन मोदी सरकार ने तीन साल बीत जाने के बावजूद इस बाबत एक भी कदम क्यों नहीं बढ़ाया. इस पर भी मंत्री जी का जवाब एक दम गोलमोल रहा.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि परिषद की स्वायत्तता को देखते हुए इसमें सरकार कोई दखल नहीं देती. नई परिषद बनाने और इसके लिए कॉलेजियम बनाने का काम जारी है.
2014 में मंत्रालय संभालने के बाद स्मृति ईरानी ने भी कहा था कि यूपीए सरकार के तमाम गलत कदमों की समीक्षा होगी. निजाम और मंत्रालय की कमान बदलती गई पर कोई कदम उठाया ही नहीं गया. अब पुराने कॉलेजियम और परिषद जो 2014 में संशोधन के बाद ही अप्रासंगिक और असंवैधानिक हो गई थी अब तक काम कर रही है, जिसके तीन साल हो गए हैं.
खोखली घोषणाओं और दावों के अलावा ना तो पुनर्गठन का कोई कदम उठाया गया और ना ही कोई बदलाव किया गया. 12 दिवंगत सदस्यों वाले 244 सदस्यों के कॉलेजियम ने सदस्य सचिव भी बनाया और नया अध्यक्ष भी चुना. मंत्री जी कहते हैं कि उन्हें कुछ नहीं पता.