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बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग, 17 विपक्षी दल चुनाव आयोग से मिलेंगे

बैलट पुपर से चुनाव कराने की मांग को लेकर 17 विपक्षी दल चुनाव आयोग से मिलने जा रहे हैं. इनमें सत्ताधारी बीजेपी की सहयोगी पार्टियां भी शामिल हैं.

एक मंच पर विपक्षी दल के नेता, फाइल फोटो एक मंच पर विपक्षी दल के नेता, फाइल फोटो
विवेक पाठक
  • नई दिल्ली,
  • 02 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 8:08 PM IST

2019 लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी दल एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार को हराने के लिए महागठबंधन का खांका खींच रहे हैं. वहीं, इन चुनावों को ईवीएम के बजाय बैलट पेपर से कराने की मांग भी जोर पकड़ रही है. इसी सिलसिले में 17 विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिलेगा. दिलचस्प यह है कि इन दलों में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी शिव सेना भी शामिल है.

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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगले हफ्ते 17 विपक्षी दलों की बैठक होनी तय है. जिसमें ईवीएम से चुनाव कराए जाने के बजाय बैलट पेपर से कराने की मांग पर चर्चा होगी. जिसके बाद इन 17 दलों का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिलकर अपना ज्ञापन सौंपेगा.

गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी अपने अधिवेशन में बैलट पेपर पर लौटने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं. वहीं तृणमूल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी भी ऐसी मांग करती रहीं है. बताया जा रहा है कि संयुक्त विपक्ष इस मुद्दे को संसद में भी उठाकर बड़ा मसला बनाने की तैयारी है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बाबत अपनी तीन दिवसीय दिल्ली यात्रा के दौरान विपक्षी दलों के अहम नेताओं से बात की थी. कहा जा रहा है कि टीएमसी के नेतृत्व में विपक्षी दल पुन: बैलट पेपर की व्यवस्था पर लौटने के मसौदे पर काम कर रहे हैं.

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इन विपक्षी दलों में सरकार की सहयोगी शिव सेना समेत टीएमसी, कांग्रेस, एनसीपी, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, बहुजन समाज पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक), सीपीएम, सीपीआई, जेडी (एस), आईयूएमएल, टीडीपी, केसी (एम), वाईएसआरसीपी शामिल हैं.

ईवीएम से चुनाव क्यों नहीं चाहता विपक्ष ?

हाल में संपन्न चुनावों में ईवीएम को लेकर गड़बड़ी की कई घटनाएं सामने आईं थीं. जिसे लेकर विपक्षी दलों का आरोप रहा है कि बीजेपी इवीएम में गड़बड़ी कर चुनाव में जीत हासिल करती है. लिहाजा यह जनता के जनादेश का अपमान है. ईवीएम का विरोध करने वाले दलों का यह तर्क रहा है कि यूरोप के विकसित देशों, जैसे ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस में अगर बैलेट पेपर से चुनाव हो सकते हैं तो फिर भारत में क्यों नहीं?

चुनाव आयोग ने दी थी खुली चुनौती

ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका को दूर करने के लिए पिछले वर्ष चुनाव आयोग ने खुली चुनौती दी थी कि किसी भी राजनीतिक दल का कोई भी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और टेक्नीशियन एक हफ्ते या 10 दिन के लिए आकर मशीनों को हैक करने की कोशिश कर सकते हैं. आयोग के चुनौती देने के बाद अंतिम समय तक सिर्फ दो राजनीतिक दल ही शामिल हुए. खुली चुनौती में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सीएमएम) के प्रतिनिधियों ने चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचकर मशीन को हैक करने में अपनी अक्षमता जाहिर की. जिसपर आयोग ने कहा कि यह ईवीएम की सर्वमान्य स्वीकार्यता को साबित करता है.

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