
1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने 34 साल बाद मौत की सजा सुनाई है. मंगलवार को अदालत ने हत्या के दोषी ठहराए गए नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा सुनाई तो वहीं यशपाल सिंह को मौत की सजा दी. यह पहला मर्तबा है जब सिख विरोधी दंगा मामले में किसी दोषी को मौत की सजा सुनाई गई है. इस बीच, इस फैसले को लेकर राजनेताओं के बीच श्रेय लेने की होड़ भी देखी गई.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में पहली बार सजा दिए जाने का स्वागत करता हूं. आखिरकार दंगों के गुनहगारों को सजा मिल ही गई. उम्मीद है कि इन हमलों में शामिल अन्य लोगों को भी जल्द ही उनके भयानक और अमानवीय कृत्यों के लिए न्याय के दायरे में लाया जाएगा.
वहीं केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि एनडीए सरकार के प्रयास के चलते आज 1984 के सिख नरसंहार के दो दोषियों को सजा मिल गई. मैं 2015 में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने और दिल्ली पुलिस द्वारा 1994 में बंद मामले को 2015 में दोबारा खुलवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करती हूं. हम तब तक आराम से नहीं बैठने वाले हैं जब तक कि अंतिम हत्यारे को सजा नहीं हो जाती है.
गौरतलब है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को 1984 सिख दंगों के मामले में दो लोगों को सज़ा सुना दी. इस मामले में दोषी यशपाल को फांसी की सजा जबकि दूसरे दोषी नरेश सेहरावत को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. एसआईटी द्वारा दर्ज किए गए 5 मामलों में पहले मामले में यह फैसला आया है. कोर्ट ने कहा कि 1984 में जो कुछ हुआ, वह बेहद बर्बर था.
नरेश सेहरावत और यशपाल सिंह को कोर्ट ने दो सिखों हरदेव सिंह और अवतार सिंह को दिल्ली के महिपालपुर में दंगों में जान से मारने का दोषी पाया है. सज़ा पाने वाले नरेश सहरावत 59 और यशपाल सिंह 55 साल के हैं. दंगों में मारे गए दोनों लोग हरदेव सिंह और अवतार सिंह की उम्र क्रमशः 1984 में 24 और 26 साल थी.