
गया के मानपुर पटवा टोली मोहल्ले में इस वर्ष 20 छात्रों ने आईआईटी पास किया. खराब शिक्षा व्यवस्था के लिए बदनाम बिहार में इन दिनों हर कोई टॉपर घोटाले की चर्चा कर रहा है. बिहार में छात्रों को टॉप कराने के लिए बकायदा घोटाला किया जा रहा है. लेकिन इसी बिहार में ऐसे भी बच्चे हैं जो अपनी मेहनत से मुकाम पाते हैं.
गांव से निकले अब तक 300 से ज्यादा इंजीनियर
गया का पटवाटोली गांव बुनकरों की आबादी के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां की 10 हज़ार की आबादी में से अब तक 300 से ज्यादा इंजीनियर निकल चुके हैं. इस वर्ष इस गांव के 20 छात्रों ने आईआईटी परीक्षा में कामयाबी हासिल की है.
पूर्व छात्र से मिली प्रेरणा
बुनकरों के गांव पटवाटोली में इस सोशल इंजीनियरिंग की शुरुआत 1992 से हुई थी. उस वक़्त जीतेन्द्र प्रसाद ने सबसे पहले आईआईटी पास किया था उसके बाद से ही हर वर्ष दर्जनों छात्र आईआईटी पास करने का सिलसिला शुरू हुआ. 1990 के दौर में जब पटवाटोली के आसपास आर्थिक मंदी का दौर आया तो पटवाटोली के बुनकर अपने बच्चों की पढ़ाई की तरफ ध्यान देने लगे. तब से लेकर आज तक अभाव में रहने वाले पटवाटोली गांव के बच्चे लगातार अपने इलाके का नाम रौशन कर रहे हैं.
इसके बाद जितेंद्र प्रसाद वर्ष 2000 में नौकरी करने अमेरिका चले गए लेकिन उनकी कामयाबी ने पटवाटोली के छात्रों में इंजीनियर बनने की ललक पैदा कर दी. पटवाटोली के पूर्व इंजीनियरिंग छात्रों ने मिलकर नवप्रयास नाम से एक संस्था बनाई है जो IIT की परीक्षा देने वाले छात्रों को पढ़ाई में मदद करती है.
शोर हमारे लिए संगीत है
पटवाटोली में पावरलूम के शोर में पढ़ाई करने वाले छात्रों का कहना है कि उन्हें शोर से कोई परेशानी नहीं होती बल्कि शोर उनके लिए संगीत की धुन बन जाता है और वो ध्यान लगाकर पढ़ाई कर पाते हैं. बिहार के गया ज़िले के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या कर रहे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. भगवान बुद्ध को अध्यात्म की दुनिया का इंजीनियर कहा जा सकता है जिन्होंने सबसे मुश्किल खोज यानी स्वयं की खोज का रास्ता बताया था. इसी तरह गया के पटवाटोली गांव के छात्र भी मुश्किल रास्ते पर चलते हुए देश विदेश में इंजीनीयरिंग वाले ज्ञान का झंडा फहरा रहे हैं.
मजदूरी और पॉवरलूम में बुनकर का काम कर पढ़ाया
पटवाटोली में किसी ने मजदूरी कर तो किसी ने दूसरे के पॉवरलूम में बुनकर का काम कर अपने बेटे को पढ़ाया है इस बीच आर्थिक तंगी के दौर से भी गुजरना पड़ा लेकिन आत्मविश्वाश को हिला नहीं पाया और वह खुद भूखे पेट रहकर अपने बेटे को पढ़ाया आज जब वह अच्छे रैंक से पास हुआ काफी खुश दिखे. तो वही कुछ के अभिभावकों ने बताया की पति -पत्नी दोनों पॉवरलूम कार्य में मजदूरी करते है ताकि उसके लाड़ले आगे बढ़ सके यहां तक की जब टियूशन फ़ीस भरने और किताबें के लिए ओवरटाइम करना भी पड़ा और जब उससे भी पूरा नहीं हो पाया तो कर्ज लेने तक की नौबत आ गयी और कर्ज लेकर पढ़ाया.